प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: डिजिटल दुनिया में ठगी के नये-नये मामले उजागर हो रहे हैं, जिसने अपराधियों तक पहुंचने में साइबर पुलिस के नाक में दम कर दिया है। जहां एक ओर फ़र्ज़ी ऐप के ज़रिए शेयर मार्केट फ्रॉड मामलों में 230% की बढ़त हुई है, वहीं अब ठगी के पैसे किराए के अकाउंट से लिए जा रहे हैं। अधिकतर ऐसे किराए वाले अकाउंट युवा 10% के कमीशन पर ठगों को दे रहे हैं।
अब ‘गिफ्ट स्कैम’ नाम की नई बला भी महाराष्ट्र समते देश में भी दस्तक दे चुकी है, क्योंकि इन दिनों दिल्ली, उत्तर प्रदेश समेत मुंबई में ‘गिफ्ट स्कैम’ यानी गिफ्ट कार्ड, खासकर ई-गिफ्ट कार्ड के जरिये लोगों को जाल में फंसाने का चलन बढ़ गया है। साइबर ठग ई-गिफ्ट कार्ड के जरिये पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को ज्यादा निशाना बना रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि ई-गिफ्ट कार्ड लास्ट-मिनट दिए जाने वाले गिफ्ट के लिए सबसे पसंदीदा विकल्प बन गए हैं। चूंकि गिफ्ट कार्ड पर कोई नाम नहीं होता है, इन्हें ट्रेस नहीं किया जा सकता है। यह किसी एक व्यक्ति से स्थायी रूप से जुड़े नहीं होते, इसलिए ठग लोगों को अपने जाल में फंसाने के लिए उपयोग करते हैं। इसका फायदा उठाकर वे लोगों से उनके पैसे ठग लेते हैं।
इसमें एक खतरा छुपा है, क्योंकि गिफ्ट कार्ड किसी एक व्यक्ति से लिंक नहीं होते और गुमनाम होते हैं। देशभर में गिफ्ट कार्ड से जुड़ी ठगी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, इसलिए आम जनता को सतर्क रहने की बहुत जरूरत है।
गिफ्ट कार्ड धोखाधड़ी में, ठग ऐसे लोगों खासकर महिलाओं से संपर्क करते हैं जिन्हें वो फंसा सके और उन्हें गिफ्ट कार्ड खरीदने के लिए मजबूर करते हैं। खरीदारी के बाद, वे झूठे बहाने और धोखे से उस गिफ्ट कार्ड से जुड़ी जानकारी जैसे नंबर, कोड, पिन आदि हासिल कर लेते हैं। जैसे ही उन्हें ये जानकारी मिलती है, वे तुरंत उस राशि को रिडीम कर लेते हैं, जिससे पीड़ित के पास अपने पैसे वापस पाने का कोई मौका नहीं बचता।
फोनपे के साइबर सुरक्षा एक्सपर्ट्स का कहना है कि गिफ्ट कार्ड धोखाधड़ी अक्सर एक तय स्क्रिप्ट के अनुसार होती है, जिसका मकसद लोगों को फंसाना होता है। इसकी शुरुआत आमतौर पर एक ऐसे व्यक्ति के रूप में होती है जिस पर आप भरोसा करते हैं -जैसे कोई सहकर्मी, परेशान परिजन, सरकारी अधिकारी, टेक्निकल सपोर्ट या फिर नौकरी देने वाला कोई व्यक्ति। वे हड़बड़ी का माहौल बनाते हैं और लोगों पर दबाव डालते हैं। वे 16-अंकों का गिफ्ट कार्ड नंबर, पिन या रिसीप्ट से जुड़ी जानकारी मांगते हैं।
मुंबई स्थित विले पार्ले का एक 35 वर्षीय जिमनास्टिक कोच गिफ्ट कार्ड धोखाधड़ी का शिकार हो गया था। पीड़िता को एक अज्ञात व्हाट्सएप नंबर से एक संदेश प्राप्त हुआ था, जिसमें एक प्रोफेसर की डीपी थी, जिसमें पीड़िता को 5000 रुपये के 20 ई-गिफ्ट कार्ड तत्काल भेजने के लिए कहा गया था, क्योंकि उसके पास उसका एटीएम कार्ड नहीं था। पीड़ित धोखेबाज को 18 ई-गिफ्ट कार्ड भेजने में कामयाब रहा और बाद में उसे पता चला कि उसे ठगा गया है।
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