बीजापुर में नक्सली सुधाकर एनकाउंटर में ढेर (सोर्स- सोशल मीडिया)
बीजापुर: छत्तीसगढ़ के बीजापुर में सुरक्षा बलों को फिर बड़ी सफलता मिली है। नेशनल पार्क क्षेत्र में जवानों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में नक्सली नेता सेंट्रल कमेटी सदस्य नरसिंहचलम उर्फ गौतम उर्फ सुधाकर के मारे जाने की खबर है। वह छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र में मोस्ट वांटेड था। सुधाकर पर तीनों राज्यों में करीब एक करोड़ रुपये का इनाम था।
जानकारी के मुताबिक मुठभेड़ में मारा गया सुधाकर नक्सलियों के शिक्षा विभाग का प्रभारी था। वह आंध्र प्रदेश के चिंतापलुडी गांव का रहने वाला था और पिछले तीन दशक से नक्सल गतिविधियों में सक्रिय था। यही वजह है कि एनकाउंटर को सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है।
पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक सेंट्रल कमेटी सदस्य गौतम उर्फ सुधाकर, तेलंगाना स्टेट कमेटी सदस्य बंदी प्रकाश, दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी सदस्य पप्पा राव और कुछ अन्य हथियारबंद माओवादी कैडरों की मौजूदगी की सूचना पर डीआरजी, एसटीएफ और कोबरा के संयुक्त बल को नक्सल विरोधी अभियान पर भेजा गया था।
बता दें कि अबूझमाड़ क्षेत्र के अंदरूनी इलाकों में भी जवानों ने सुबह से ही नक्सलियों को घेरना शुरू कर दिया था। जवान लगातार इलाके की सर्चिंग कर रहे हैं। मारे गए नक्सलियों की संख्या बढ़ भी सकती है। मौके से एक ऑटोमेटिक राइफल बरामद की गई है।
बताया गया कि सुरक्षाबलों की टीम नक्सल विरोधी अभियान के तहत जंगल में सर्चिंग अभियान चला रही थी। इसी दौरान जंगल में मुठभेड़ शुरू हो गई। जवानों ने मोर्चा संभाला और लगातार फायरिंग के बाद एक करोड़ रुपये के इनामी नक्सली को मार गिराया। मुठभेड़ में और कितने नक्सली मारे गए, इसकी पुष्टि अभी नहीं हो पाई है।
29 मई को बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने का आखिरी मौका देते हुए बड़ा बयान दिया था। आईजी ने साफ कहा था कि सोनू, हिड़मा, सुजाता या रामचंद्र रेड्डी हो या कोई भी डिवीजन कमेटी सदस्य या बड़े कैडर का नेता, अगर उन्हें अपनी जान बचानी है तो अभी भी समय है… हिंसा छोड़ दें, आत्मसमर्पण करें और राज्य सरकार की पुनर्वास नीति का लाभ उठाएं। नहीं तो मुठभेड़ में उनका अंत तय है।
इससे पहले 21 मई को नारायणपुर के अबूझमाड़ के जंगलों में मुठभेड़ में नक्सली प्रमुख नंबाला केशव उर्फ बसव राजू मारा गया था। उस पर डेढ़ करोड़ रुपए का इनाम था। वह नक्सलियों की केंद्रीय कमेटी का महासचिव था। नक्सल संगठन में यह सबसे बड़ा पद होता है। नक्सल कमांडर के मारे जाने से संगठन की कमर पूरी तरह टूट गई है। जून के पहले हफ्ते में एक और बड़े नक्सली नेता को जवानों ने मार गिराया है।