कॉन्सेप्ट फोटो (सोर्स: सोशल मीडिया)
नवभारत डेस्क: देश में डिजिटल शिक्षा ने शिक्षा प्रणाली में एक नयी क्रांति ला दी है। कोविड-19 महामारी के दौरान ऑनलाइन शिक्षण प्लेटफार्मों का उदय हुआ। कई ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म्स छात्रों को डिजिटल साधनों का उपयोग करके गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच प्रदान कर रहे हैं।
हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी और डिजिटल उपकरणों की कमी जैसे मुद्दे अभी भी मौजूद हैं। सरकार ने इन बाधाओं को दूर करने के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की हैं, जैसे पीएम ई-विद्या योजना, जो छात्रों को एकल डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बहुभाषीय शिक्षा सामग्री प्रदान करती है।
इसके अलावा राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने भारत में शिक्षा प्रणाली को पुनः परिभाषित किया है। यह नीति वैश्विक मानकों के अनुरूप बहु-विषयक शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देती है। वहीं प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (पीएमजीदिशा) के ज़रिए ग्रामीण छात्रों को डिजिटल शिक्षा दी जा रही है।
इस अभियान के तहत, डिजिटल साक्षरता प्रशिक्षण के लिए सामग्री उपलब्ध कराई जाती है। साथ ही, डिजिटल शिक्षा के ज़रिए छात्रों को ज्ञान की सीमाएं बढ़ाने में मदद की जा रही है। डिजिटल साक्षरता प्रशिक्षण की सामग्री अंग्रेज़ी के अलावा भारत की 22 अनुसूचित भाषाओं में उपलब्ध है।
भारत की शिक्षा प्रणाली में हो रही प्रगति केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि और भी लोग है जो देश में डिजिटल शिक्षा की अलख जगा रहे हैं। हरियाणा में 11 की छात्रा रिया राम ‘टेकफॉरऑल’ नाम की पहल शुरू की है। इसके जरिए वह ग्रामीण भारत के छात्रों को कंप्यूटर की शिक्षा दे रही हैं।
आधुनिक कंप्यूटर लैब स्थापित करके, कुशल शिक्षकों की भर्ती करके और तकनीकी कार्यशालाओं का आयोजन करके, रिया सुनिश्चित कर रही हैं कि किसी भी बच्चे की क्षमता डिजिटल पहुंच की कमी के कारण सीमित न हो।
हरियाणा की छात्रा रिया ने दयालपुर, ऊंचागांव और नरियाला के 3 सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर लैब स्थापित किए हैं, जिससे 3,000 छात्रों को जरूरी डिजिटल ज्ञान मिल रहा है। इन लैब में न सिर्फ कंप्यूटर की बेसिक जानकारी दी जाती है, बल्कि छात्रों को आगे की पढ़ाई और नौकरी के लिए भी तैयार किया जाता है।
रिया ने तीन और सरकारी स्कूलों की पहचान की है, जहां अगले दो महीनों में नई कंप्यूटर लैब स्थापित की जाएंगी। लेकिन यह तो सिर्फ शुरुआत है। रिया का लक्ष्य अगले वर्ष तक ‘टेकफॉरऑल’ को 50 से अधिक स्कूलों तक पहुंचाना है, जिससे हजारों और छात्रों का भविष्य बदले।
वहीं उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्राम पंचायत स्तर पर डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना करने का निर्णय लिया है। यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने उच्च स्तरीय बैठक के दौरान अधिकारियों को पहले चरण के तहत प्रदेश की 22,700 ग्राम पंचायतों में डिजिटल लाइब्रेरी स्थापित करने के निर्देश दिये हैं।
इस योजना का उद्देश्य प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को आधुनिक शिक्षा से जुड़े संसाधनों तक पहुंच प्रदान करना है। पहले चरण के बाद इस योजना को विस्तार दिया जाएगा। इसके तहत उत्तर प्रदेश की हर ग्राम पंचायत में डिजिटल लाइब्रेरी का निर्माण किया जाएगा।
हाल ही में केंद्र सरकार ने 50 हजार अटल टिंकरिंग लैब स्थापित करने का बजट में प्रावधान किया है। इन लैब में आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस व रोबोटिक्स इत्यादि के बारे में विद्यार्थियों को जानकारी दी जाएगी। विद्यार्थियों में रचनात्मक सोच, समस्या समाधान और तकनीकी ज्ञान दिया जाएगा।
दूसरे लोगों का जुड़ जाना इस बात का प्रमाण है कि एक सशक्त और समावेशी शिक्षा तंत्र कैसे एक राष्ट्र को सशक्त बना सकता है। लैंगिक समानता, डिजिटल शिक्षा और सामाजिक समावेश जैसी उपलब्धियां यह दर्शाती हैं कि भारत सही दिशा में आगे बढ़ रहा है।
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हालांकि चुनौतियां अभी भी मौजूद हैं, लेकिन सरकार और समाज के सम्मिलित प्रयासों से भारत एक ऐसी शिक्षा प्रणाली की ओर बढ़ रहा है, जो न केवल देश के भीतर बल्कि वैश्विक स्तर पर भी प्रतिस्पर्धी और प्रेरणादायक हो सकती है।