नए श्रम कानून। इमेज-एआई
New Labour Codes Gratuity Rule: केंद्र सरकार के नए वेज कोड लागू हो चुके हैं। इससे कर्मचारियों की टेक होम सैलरी घट सकती है। कर्मचारियों की बेसिक सैलरी अब CTC का कम-से-कम 50 फीसदी तय की जाएगी। बेसिक सैलरी बढ़ने से PF और ग्रेच्युटी की कटौती भी बढ़ेगी।
यह बदलाव रिटायरमेंट सेविंग को मजबूत करेगा। मगर, कर्मचारियों के हाथ में आने वाली सैलरी कम हो जाएगी। जानकार बताते हैं कि कंपनियों को अब सैलरी स्ट्रक्चर को नए नियमों के अनुसार बदलना होगा।
कोड ऑन वेज 21 नवंबर से प्रभावी हो गया। सरकार इसके नियम अगले 45 दिनों में नोटिफाई करेगी। नए प्रावधान के अनुसार बेसिक सैलरी CTC का 50 फीसदी होगी। इससे वे कंपनियां प्रभावित होंगी, जो बेसिक कम रखकर अलाउंसेज बढ़ाती थीं। अब कंपनियों को बेसिक सैलरी को तय लिमिट के अनुसार रखना होगा।
बेसिक सैलरी पर ही PF की कैलकुलेशन होती है। PF में कर्मचारी और नियोक्ता 12-12 फीसदी योगदान देते हैं। बेसिक सैलरी बढ़ेगी, PF का योगदान भी उसी रेशियों में बढ़ेगा। इससे रिटायरमेंट सेविंग बढ़ेगी, लेकिन टेक होम सैलरी कम होगी। ग्रेच्युटी अंतिम बेसिक सैलरी और कंपनी में काम के कुल वर्षों पर आधारित होती है। अब जब बेसिक सैलरी अधिक होगी, इसलिए ग्रेच्युटी की राशि भी पहले से अधिक मिलेगी। जानकार बताते हैं कि इससे लंबे समय में कर्मचारियों को फायदा होगा।
नए वेज कोड के लागू होने के साथ कंपनियों को कर्मचारियों की सैलरी स्ट्रक्चर में बदलना पड़ेगा। इसे लागू करने का उद्देश्य कंपनियों की ओर से बेसिक सैलरी कम रखने और अलाउंसेज बढ़ाने की प्रथा पर रोक लगाना है। अब बेसिक, डीए, रिटेनिंग अलाउंस को मिलाकर वेतन की नई परिभाषा तय की जाएगी।
कोड ऑन वेज और अन्य लेबर कोड में वेतन की परिभाषा एक जैसी की गई है। इससे PF, ग्रेच्युटी, पेंशन, अन्य सोशल सिक्योरिटी बेनिफिट की कैलकुलेशन में एकरूपता आएगी। इससे कर्मियों को अधिक ट्रांसपरेंट और सही लाभ सुनिश्चित होगा।
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नए नियम में वेज में बेसिक, डीए और रिटेनिंग अलाउंस होंगे। वहीं, HRA और कनवेंस अलाउंस को शामिल नहीं किया जाएगा। जानकार बताते हैं कि इससे सैलरी स्ट्रक्चर अधिक स्पष्ट होगी और रिटायरमेंट लाभ बढ़ेंगे।