प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली: 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश का आम बजट पेश करते समय कई बड़ी घोषणाएं कीं। इनमें से एक बड़ी घोषणा मेडिकल टूरिज्म को लेकर है। बजट स्पीच के दौरान वित्त मंत्री ने कहा कि भारत में मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा दिया जाएगा। जब किसी देश के रहने वाले लोग चिकित्सा सुविधा के लिए दूसरे देश की यात्रा करते हैं, तो इसे मेडिकल टूरिज्म कहा जाता है। कोरोना काल के बाद भारत को मेडिकल क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर बड़ी पहचान मिली है। देश मेडिकल टूरिज्म का हब बनने की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है।
पश्चिमी देशों की तुलना में भारत में इलाज का खर्चा काफी कम है। यही वजह है कि हर साल लाखों विदेशी नागरिक इलाज के लिए मेडिकल टूरिज्म वीजा पर भारत आते हैं। इसमें सबसे ज्यादा तादाद इराक, अफगानिस्तान, मालदीव, ओमान, केन्या, म्यांमार और श्रीलंका के मरीजों की है। यही वजह है कि भारत में मेडिकल टूरिज्म को और बेहतर बनाने के लिए सरकार की तरफ से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
सीडीसी की एक रिपोर्ट बताती है कि मेडिकल टूरिज्म में ज्यादातर लोग कॉस्मेटिक सर्जरी, फर्टिलिटी ट्रीटमेंट, डेंटल केयर, ऑर्गन और टिश्यू ट्रांसप्लांटेशन और कैंसर का इलाज करवाते हैं। इनमें से तमाम सर्जरी का इलाज पश्चिमी देशों की तुलना में भारत में कम है। तकनीकी रूप से भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है. यहां बेहतर टेक्नोलॉजी से लैस अस्पताल, कुशल डॉक्टर्स व लाखों की संख्या में प्रशिक्षित नर्स हैं। भारत में इन्फर्टिलिटी के उपचार की लागत विकसित देशों की तुलना में एक चौथाई है। आईवीएफ और एआरटी सेवाओं ने भारत को इन्फर्टिलिटी के उपचार के लिए पहली पसंद बना दिया है। विशेषज्ञ डॉक्टर और ई-मेडिकल वीजा जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो इसे एशिया में सबसे तेजी से बढ़ रहे चिकित्सा पर्यटन स्थलों में से एक बनने में मदद कर रही हैं।
मेडिकल टूरिज्म के जरिए विदेशी मरीज इलाज के लिए भारत आते हैं। इससे देश का आर्थिक विकास तेज होगा। विदेशी मरीजों को आकर्षित करने के लिए अस्पतालों और स्वास्थ्य सुविधाओं में लगातार सुधार किया जाता है, जिसका फायदा भारतीय मरीजों को भी मिलेगा। मेडिकल टूरिज्म के बढ़ने से अस्पतालों, होटलों, ट्रैवल कंपनियों, ट्रांसपोर्ट और गाइड सेवाओं में रोजगार के नए अवसर पैदा होते हैं। भारत योग, आयुर्वेद और सस्ते लेकिन उच्च गुणवत्ता वाले इलाज के लिए प्रसिद्ध है।
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मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने से भारत की वैश्विक पहचान और मजबूत होगी। विदेशी मरीजों की मांग को देखते हुए अस्पतालों में नई तकनीकों और आधुनिक इलाज पद्धतियों को अपनाया जाता है। इससे देश की मेडिकल सेवाएं बेहतर होती हैं।