(प्रतीकात्मक तस्वीर)
Silver Price Outlook: इस साल चांदी की कीमतों में आई तेजी ने बाजार में हलचल पैदा कर दी है। सोने को पछाड़ते हुए चांदी का मुनाफा अब तक 60 प्रतिशत के करीब पहुंच गया है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि आने वाले कुछ दिनों में चांदी की कीमतों में और तेजी देखने को मिल सकती है और यह 1 लाख 70 हजार के लेवल पर पहुंच सकती है।
चांदी पिछले साल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) में 87,233 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जो 29 सितंबर तक 60 प्रतिशत की मजबूत बढ़त के साथ 1,50,00 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई। बीते एक एक महीने में ही चांदी की कीमतें 25,000 रुपये तक चढ़ गई हैं। इससे अंदाजा लगया जा सकता है कि चांदी को लेकर निवेशकों में जबरदस्त मांग है।
घरेलू बाजार के अलावा अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी करीब 14 साल के हाई लेवल पर है और इसकी कीमतें 47.18 डॉलर प्रति औंस तक पहंच गई हैं। इस चांदी 60 प्रतिशत महंगी हुई है, जबकि सोना 45 प्रतिशत उछला है। इसकी वजह से सोना-चांदी के बीच अनुपात घटकर 81.64 पर आ गया है। आगे चांदी की कीमतें 50 डॉलर प्रति औंस का महत्वपूर्ण स्तर पार कर सकती हैं। इससे चांदी के 1,70,000 रुपये प्रति किलो तक जाने की संभावना है।
रेटिंग एजेंसी नोमूरा के अनुसार, चांदी की निरंतर मांग के कारण जमा भंडार में तेजी से गिरावट आई है इसकी सप्लाई दिसंबर 2020 में 22 महीने थी, जो दिसंबर 2023 तक केवल 13 महीने रह गई है। नोमूरा ने अनुमान लगाया है कि 2025 में चांदी की मांग 114.83 करोड़ औंस होगी, जबकि सप्लाई 103.06 करोड़ औंस रहेगी।
अगर मांग का यह पैटर्न नहीं बदलता है तो अनुमानों के अनुसार 2050 तक चांदी के ज्ञात भंडार खत्म हो जाएंगे। इसके चलते निकट भविष्य में सोने की कीमतों में सीमित वृद्धि की संभावना के कारण चांदी को आकर्षक माना जा रहा है।
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इस साल सोने और चांदी की तरफ निवेशक अधिक आकर्षित हुए हैं। हाई रिस्क वाले पोर्टफोलियो में आधा निवेश सोने की जगह अब चांदी में किया जा रहा है, जबकि सुरक्षित निवेश कनरे वाले भी 20 से 30 प्रतिशत हिस्सा चांदी में लगाने लगे हैं। आमतौर पर कीमती धातुएं कुल निवेश का 10 से 15 प्रतिशत हिस्सा होती हैं और इसमें भी लगभग पूरा हिस्सा सोने का ही होता था, लेकिन अब चांदी ने अपनी मजबूत पकड़ बनाई हुई है।