(प्रतीकात्मक तस्वीर)
Share Market Crash: भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का सिलसिला लगातार जारी है। बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी-50 और सेंसेक्स में गुरुवार को लगातार पांचवें ट्रेड सेशन में गिरावट दर्ज की गई। शुक्रवार को भी बाजार की शुरुआत लाल निशान में हुई। इसी के साथ पिछले पांच ट्रेडिंग सेशन सेंसेक्स में कुल 1,854 अंक या 2.2 फीसदी की गिरावट आई है। जबकि इस दौरान एनएसई निफ्टी-50 में 533 अंकों या 2.1 फीसदी की गिरावट देखी गई है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पोस्ट में ब्रांडेड दवाओं पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने का घोषणा कर चुक हैं। इस खबर का भी शेयर बाजार की चाल पर नेगेटिव असर डाल रहा है। इसके चलते निफ्टी फार्मा इंडेक्स शुक्रवार को 2.5 फीसदी से ज्यादा गिर गया।
लिक्विडिटी की कमी: इक्विनॉमिक्स रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड के फाउंडर जी. चोक्कालिंगम के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की लगातार की जा रही बिकवाली से बाजार पर दबाव बन रहा है। इससे लिक्विडिटी की समस्या खड़ी हो रही है। आंकड़ों के अनुसार, 19 सितंबर 2025 से लेकर अब तक के चार ट्रेडिंग सेशन में विदेशी निवेशकों शेयर बाजार से 321.66 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं।
आईपीओ की भरमार: इसकी वजह से निवेशक अपना पैसा बचाकर रख रहे हैं। चोक्कालिंगम का मानना है कि निवेशक आगामी आईपीओ में पैसा लगाने के लिए पूंजी सुरक्षित रख रहे हैं। मैन बोर्ड कैटेगरी में 30 सितंबर 2025 तक कुल 14 आईपीओ निवेश के लिए खुले रहेंगे।
पिछले हफ्ते ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीजा प्रोग्राम में बड़ा बदलाव किया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर साइन किया है। इसके तहत H-1B वीजा एप्लिकेशन फीस को 2,000–5,000 डॉलर से बढ़ाकर 100,000 डॉलर कर दिया गया है। यह एक बार का भुगतान होगा और 21 सितंबर से लागू हो गया है। इस घोषणा के बाद से भारतीय आईटी स्टॉक्स पर दबाव बना हुआ है। निफ्टी आईटी इंडेक्स पिछले पांच ट्रेडिंग सेशन्स में 6 फीसदी से अधिक गिर चुका है।
अगस्त में ट्रंप ने भारत पर अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ लगाया। इससे कुल टैरिफ दर बढ़कर 50 फीसदी हो गई। 7 अगस्त से लागू यह टैरिफ उन 70 देशों पर भी लगाया गया, जिन पर अमेरिका ने समान कदम उठाए। इन टैरिफ्स को भारत के रूस से तेल और हथियार खरीदने के जवाब में देखा गया। अमेरिका ने 21 दिनों की बातचीत की अवधि भी दी थी। लेकिन अब तक कोई समझौता नहीं हो पाया है।
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बुधवार को लगातार तीसरे ट्रेडिंग सेशन में भारतीय रुपया कमजोर रहा और यह डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर के पास पहुंच गई। बुधवार को रुपया 2 पैसे मजबूत होकर 88.73 पर खुला, लेकिन जल्दी ही गिरकर 88.76 तक आ गया। इस साल अब तक रुपया 3.68 फीसदी गिर चुका है। रुपया गिरने से निर्यातकों को फायदा हो, लेकिन यह महंगाई का खतरा भी बढ़ा सकता है।