Cryptocurrency (सौ. Freepik)
मुंबई : आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने आज रेपो रेट में कटौती का ऐलान किया है। केंद्रीय बैंक आरबीआई क्रिप्टोकरेंसी को लेकर चिंतित है, क्योंकि इससे फाइनेंशियल स्टेबिलिटी बाधित हो सकती है।
चालू वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी द्विमासिक मॉनिटरी पॉलिसी समीक्षा पेश करने के बाद पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान मल्होत्रा से क्रिप्टोकरेंसी पर सुप्रीम कोर्ट की पिछले महीने की गई टिप्पणी के बाद के उत्पन्न घटनाक्रम के बारे में पूछा गया था। उन्होंने कहा कि क्रिप्टो के मामले में बताने के लिए अभी कुछ नया नहीं है। मल्होत्रा ने कहा है कि सरकार की एक कमिटी इस पर नजर रख रही है। बेशक, जैसा कि आप जानते हैं हम क्रिप्टो के बारे में चिंतित हैं क्योंकि ये फाइनेंशियल स्टेबिलिटी और मॉनिटरी पॉलिसी को बाधित कर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने के लिए एक साफ पॉलिसी तैयार करने का पिछले महीने निर्देश दिया था। कोर्ट ने इकोनॉमी पर इसके प्रभाव को भी हाईलाइट किया था। सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने बिटकॉइन व्यापार को ‘हवाला’ कारोबार की तरह ही इललीगल ट्रेड करार दिया था। भारत, वर्तमान में क्रिप्टोकरेंसी के लिए एक चर्चा पत्र पर काम कर रहा है और एक अंतर-मंत्रालयी समूह यानी आईएमजी ग्लोबल स्टैंडर्ड पर गौर कर रही है।
इस अंतर-मंत्रालयी समूह में आरबीआई, मार्केट रेग्यूलेटरी भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड यानी सेबी और वित्त मंत्रालय के ऑफिसर्स शामिल हैं। इसको लेकर कोई कानून न होने के कारण क्रिप्टोकरेंसी अभी तक भारत में इललीगल नहीं है।
भारत के क्रिप्टोकरेंसी पर नीतिगत रुख तय करने से पहले यह ‘चर्चा पत्र’ हितधारकों को अपने विचार प्रस्तुत करने का अवसर देगा। सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले लाभ पर 30 प्रतिशत का डायरेक्ट टैक्स लगाने की साल 2022 में घोषणा की थी। क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली आय पर कर लगाने का मतलब इसे वैध ठहराना नहीं है।
भारत में वर्तमान में क्रिप्टो संपत्तियां नियमों के दायरे में नहीं है बल्कि इस पर धन शोधन रोधी कानून के नजरिये से गौर किया जा रहा है। इसके अलावा, ऐसी डिजिटल संपत्तियों में कारोबार से होने वाली आय पर आयकर और टीडीएस यानी स्रोत पर कर कटौती लगाया जाता है। साथ ही क्रिप्टोकरेंसी कारोबार पर माल एवं सेवा कर यानी जीएसटी भी लागू है।
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गौरतलब है कि 4 मार्च 2021 को उच्चतम न्यायालय ने आरबीआई के 6 अप्रैल 2018 के एक परिपत्र को रद्द कर दिया था। इस परिपत्र के जरिये बैंकों एवं आरबीआई द्वारा विनियमित संस्थाओं पर आभासी मुद्राओं संबंधी सेवाएं प्रदान करने को लेकर रोक लगाई गई थी।
(एजेंसी इनपुट के साथ)