प्रतीकात्मक तस्वीर
Indian Economy: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) द्वारा रेपो रेट रेपो रेट (Repo Rate) में कटौती और बैंकिंग सिस्टम में नकदी बढ़ाकर विकास को बढ़ावा देने के प्रयासों के बावजूद प्रमुख सेक्टरों में विकास की गति कमजोर दिख रही है। वित्तीय सेवा कंपनी नुवामा (Nuvama Wealth) की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अधिकांश सेक्टरों में वृद्धि एक साल पहले दोहरे अंकों में थे, लेकिन अब यह एक अंक में सिमटकर कोरोना महामारी के पहले के स्तर पर आ गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की बैंक लोन वृद्धि जो एक साल पहले 16 प्रतिशत थी अब जून, 2025 में घटकर नौ प्रतिशत रह गई है। यह तीव्र गिरावट अर्थव्यवस्था में कम उधारी और कमजोर मांग को दर्शाती है। इसी तरह, जीएसटी संग्रह, जो एक साल पहले 11 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा था, जून 2025 में घटकर केवल 6.2 प्रतिशत रह गया है।
यह गिरावट उपभोग और व्यावसायिक गतिविधियों में मंदी का संकेत देती है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि निर्यात वृद्धि भी धीमी बनी हुई है। कुल निर्यात (वस्तुओं और सेवाओं) में केवल छह प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। यह वित्त वर्ष 23 की अवधि के दौरान देखी गई दोहरे अंकों की वृद्धि से काफी कम है। यात्री वाहनों की बिक्री पिछले साल के सात प्रतिशत की तुलना में घटकर दो प्रतिशत रह गई है। रियल एस्टेट क्षेत्र में भी गिरावट दर्ज की गई है। शीर्ष सात शहरों में संपत्ति की बिक्री का मूल्य पिछले साल की 28 प्रतिशत वृद्धि से घटकर अब केवल चार प्रतिशत रह गया है।
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बीएसई 500 कंपनियों द्वारा मापी गई वेतन वृद्धि 12 प्रतिशत से घटकर छह प्रतिशत रह गई है। उद्योग जगत की बात करें तो, आठ प्रमुख क्षेत्रों में वृद्धि दर अब तीन प्रतिशत है, जो एक साल पहले आठ प्रतिशत थी। बीएसई 500 कंपनियों (ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को छोड़कर) की लाभ वृद्धि दर अब 10 प्रतिशत है, जबकि एक साल पहले यह 21 प्रतिशत थी। रिपोर्ट से इस बात का पता चलता है कि अधिकांश सेक्टर अब 2018-19 के महामारी पूर्व वर्षों के समान या एकल अंक की वृद्धि दर पर वापस आ गए हैं।