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कभी एयरलाइन सेक्टर में अंबानी ने चला था दांव, इस कंपनी में थी हिस्सेदारी; फिर क्यों छोड़ा कारोबार?

Reliance: इंडिगो इन दिनों भारी संकट से गुजर रही है। घरेलू बाजार में इंडिगो की मोनोपॉली खत्म करने के लिए मुकेश अंबानी का एविएशन सेक्टर में आने का चर्चा चल रहा है।

  • By मनोज आर्या
Updated On: Dec 09, 2025 | 06:08 PM

एविएशन सेक्टर में रिलायंस, (डिजाइन फोटो)

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Reliance In Aviation Sector: देश की सबसे बड़ी घरेलू एयरलाइन कंपनी इंडिगो (IndiGO Crisis) इन दिनों भारी संकट का सामना कर रही है। भारतीय बाजार में 65 प्रतिशत तक हिस्सेदारी रखने वाली एयरलाइन के सिस्टम ध्वस्त हो जाने से लोगों पहरेशान हैं। इस संकट के बीच चर्चा ये हो रही है कि इंडिगो की मोनोपॉली खत्म करने के लिए मुकेश अंबानी जैसे उद्योगपतियों को भी इस सेक्टर में भी आना चाहिए। हालांकि, बहुत ऐसे कम लोग है, जो ये जानते हैं कि मुकेश अंबानी की रिलायंस ने भी कभी इस सेक्टर में कारोबार किया था।

इतना जानने के बाद लोग यह जानने की कोशिश करेंगे की आखिरी मुकेश अंबानी की रिलांयस किस एयरलाइन कंपनी में अपना कारोबार कर रही थी और क्यों उन्हें एविएशन सेक्टर को छोड़ना पड़ा। आज हम आपको वही कहानी बताएंगे कि आखिर किस वजह से रिलायंस ने इसे सेक्टर से खुद को अलग कर लिया। आइए सबकुछ विस्तार से जानते हैं।

2010 में रिलायंस की एविएशन सेक्टर में एंट्री

मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अप्रैल 2010 में कैप्टन गोपीनाथ द्वारा स्थापित कार्गो एयरलाइन डेक्कन 360 में “स्ट्रेटेजिक इन्वेस्टर” के तौर पर एविएशन सेक्टर में कदम रखा। रिपोर्ट्स के अनुसार उस समय रिलायंस ने 26 फीसदी से लेकर 50 फीसदी के बीच हिस्सेदारी खरीदी थी।,डेक्कन 360 के जरिए रिलायंस अपने रिटेल ऑपरेशंस लॉजिस्टिक्स को मजबूत करने के लिए एक स्ट्रेटेजिक कदम के तौर पर लगभग 115 करोड़ रुपये का इन्वेस्टमेंट किया था। उस समय RIL के चेयरमैन और MD मुकेश अंबानी ने एक बयान में कहा था कि हमारा मानना है कि डेक्कन 360 के साथ हमारे सहयोग से भारत में लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में बड़ा बदलाव आएगा।

डेक्कन 360 एयरलाइन की डूबने की कहानी

डेक्कन 360 को बिजनेस और फंडिंग में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, जिससे भारी नुकसान हुआ। इसके कार्गो ऑपरेशन, जिसमें तीन एयरबस 310 का इस्तेमाल होता था, मई 2011 में बंद हो गए क्योंकि बिजनेस वॉल्यूम की कमी के कारण लीज देने वालों ने एयरक्राफ्ट वापस ले लिए थे। चूंकि डेक्कन 360 का ऑपरेशन प्लान के मुताबिक नहीं चल रहा था, इसलिए RIL ने बाद में इन्वेस्टमेंट बंद कर दिया था और ऐसा माना जा रहा था कि उसने कंपनी से बाहर निकलने या अपनी हिस्सेदारी कम करने की इच्छा जताई थी।

सितंबर 2011 में RIL ने डेक्कन 360 में अपने इन्वेस्टमेंट को मुकेश अंबानी के पर्सनल इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो में ट्रांसफर करने के लिए एक ट्रांजैक्शन किया था। इसके बाद कंपनी ने नए खरीदारों और फंडिंग की तलाश की, लेकिन उस समय के आसपास RIL का ओरिजिनल सपोर्ट लगभग खत्म हो गया था।

ये भी पढ़ें: भूखमरी की कगार पर खड़ा पाकिस्तान…फिर भी IMF क्यों हुआ मेहरबान, दे दिया इतने अरब डॉलर का कर्ज

इस तरह डेक्कन 360 से बाहर निकली रिलायंस

RIL की सब्सिडियरी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रियल एंड इन्वेस्टमेंट्स होल्डिंग लिमिटेड ने डेक्कन 360 में अपने करीब 107 करोड़ रुपये के इन्वेस्टमेंट का 90% राइट ऑफ कर दिया है, जिससे इस वेंचर से बाहर निकलने का साफ संकेत मिलता है। असल में, रिलायंस ने अपनी हिस्सेदारी को एक स्ट्रेटेजिक कॉर्पोरेट इन्वेस्टमेंट से पर्सनल इन्वेस्टमेंट में बदल दिया और फिर जब वेंचर फेल हो गया, तो साफ बिक्री करने के बजाय इन्वेस्टमेंट को राइट-ऑफ करके उससे बाहर निकल गई।

Mukesh ambanis reliance had 26 percent stake in deccan 360 airlines

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Published On: Dec 09, 2025 | 06:08 PM

Topics:  

  • Business News
  • Mukesh Ambani
  • Reliance

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