मेडिकल टूरिज्म (सौ. सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश के साथ फिलहाल रिश्तें कई तनावपूर्ण माहौल से गुजर रहे हैं। तनावपूर्ण रिश्ते और वीजा बैन के कारण भारत में बांग्लादेश से आने वाले पेशेंट की संख्या में भारी गिरावट आयी है। टूरिज्म मिनिस्ट्री की के एक नए डेटा के अनुसार, नवंबर 2024 में भारत का मेडिकल वैल्यू टूरिज्म यानी एमवीटी में साल दर साल 43 प्रतिशत और दिसंबर 2024 में 59 प्रतिशत की कमी आयी है, जो पिछले साल के अपने सबसे निचले मंथली लेवल 30,800 पर पहुंच गई है।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बीएनपी परिबास सिक्योरिटीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के एनालिस्ट तौसिफ शेख ने कहा है कि हमने जितना सोचा था उतनी ही गिरावट आयी है। उन्होंने अपने फर्म के पल्स फ्रॉम द ग्राउंड : अनपैकिंग द बांग्लादेश क्राइसिस रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि 9 महीने के बाद बांग्लादेश और भारत के बीच ट्रेन सर्विस शुरू होना एक पॉजिटिव इशारा है, लेकिन एमवीटी में पूरी तरह से सुधार होने में अभी समय लगेगा। तौसिफ ने वित्त वर्ष 2025-26 की चौथी तिमाही में भी इसी तरह का रुझान जारी रहने का अनुमान लगाया है।
तौसिफ शेख ने आगे ये भी कहा है कि हालांकि स्थिति चुनौतीपूर्ण बनी हुई है क्योंकि भारत ने बांग्लादेश के लिए वीजा ऑपरेशन को कम कर दिया है और फ्लीट ऑपरेटर्स ने लिमिटेड कैपिसिटी का साथ काम करना जारी रखा है। वर्तमान समय में ट्रैवल कर रहे कई मरीजों ने संकट गहराने से पहले ही वीजा के लिए अप्लाई कर दिया था और उन्हें वीजा भी मिल गया था, लेकिन नए एप्लीकेशन लिमिटेड हैं।
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एमवीटी में गिरावट का असर उन हॉस्पिटलों पर ज्यादा पड़ा है, जो इंटरनेशनल मरीजों पर ज्यादा निर्भर हैं, खासकर कोलकाता और पूर्वोत्तर राज्यों में। बीएनपी परिबास द्वारा कवर किए जाने वाले हॉस्पिटल चेन में अपोलो हॉस्पिटल यानी एपीएचएस पर ज्यादा असर पड़ने की उम्मीद है, जबकि एस्टर डीएम हेल्थकेयर यानी एएसटीईआरडीएम और फोर्टिस हेल्थकेयर यानी एफओआरएच पर कम असर पड़ने की उम्मीद है। साल 2022 में आईसीआरआईईआर की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के मेडिकल टूरिस्ट में 69 प्रतिशत बांग्लादेश से आए हुए थे। भारत के एमवीटी में बांग्लादेश का 70 प्रतिशत योगदान है।