जमना लाल बजाज, (फाइल फोटो
Jamnalal Bajaj Birth Anniversary: भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी, उद्योगपति और समाजसेवी जमनालाल बजाज का नाम राष्ट्रसेवा और सादगी के प्रतीक के रूप में अमर है। उनका जन्म 4 नवंबर 1889 को राजस्थान के सीकर जिले के काशी का बस गांव में हुआ था। वे न केवल भारत के उद्योग जगत के एक प्रमुख स्तंभ थे, बल्कि महात्मा गांधी के अत्यंत निकट सहयोगी भी रहे। गांधीजी उन्हें स्नेहपूर्वक अपना ‘तीसरा पुत्र’ कहा करते थे।
जमनालाल बजाज का बचपन साधारण परिवार में बीता, लेकिन उनकी सोच असाधारण थी। युवा अवस्था में ही उन्होंने समाज सुधार, स्वदेशी उद्योग और दान-धर्म के क्षेत्र में गहरी रुचि दिखाई। वे बचपन से ही सत्य, अहिंसा और आत्मनिर्भरता के सिद्धांतों से प्रभावित रहे। बाद में उन्होंने महात्मा गांधी के नेतृत्व में स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भाग लिया और ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आवाज बुलंद की।
व्यवसाय के क्षेत्र में जमनालाल बजाज ने बजाज समूह की स्थापना की, जो आगे चलकर भारत की सबसे प्रतिष्ठित औद्योगिक संस्थाओं में से एक बना। लेकिन उन्होंने कभी व्यवसाय को सिर्फ लाभ का साधन नहीं माना, उनके लिए यह समाजसेवा और राष्ट्रनिर्माण का माध्यम था। उन्होंने अपने उद्योगों में स्वदेशी सिद्धांत को अपनाया और विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार का समर्थन किया।
(महात्मा गांधी के साथ जमना लाल बजाज)
गांधीजी के आदर्शों से प्रेरित होकर उन्होंने वार्डा (महाराष्ट्र) को अपनी कर्मभूमि बनाया। यहां उन्होंने ‘सर्वोदय आश्रम’ और कई शैक्षणिक व सामाजिक संस्थाओं की स्थापना की। वे हरिजन उत्थान, अछूतों के मंदिर में प्रवेश और स्त्री शिक्षा जैसे सुधारों के प्रबल समर्थक थे। उस दौर में जब समाज जातिगत बंधनों में जकड़ा था, उन्होंने समानता और मानवीय मूल्यों की अलख जगाई।
जमनालाल बजाज न केवल समाज सुधारक थे, बल्कि सच्चे राष्ट्रभक्त भी थे। वे असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह और विदेशी वस्त्रों की होली जैसे आंदोलनों में सक्रिय रहे। कई बार जेल गए, लेकिन सत्य और अहिंसा के मार्ग से कभी विचलित नहीं हुए। उनका मानना था कि सच्चा देशभक्त वही है, जो अपने कर्म से समाज को ऊपर उठाए।
उनका जीवन अत्यंत सादगीपूर्ण था। उन्होंने स्वयं खादी पहनने, स्वदेशी वस्त्रों का प्रयोग करने और सादा जीवन जीने का संकल्प लिया। जमनालाल बजाज का व्यक्तित्व इस बात का जीवंत उदाहरण है कि व्यापार और सेवा दोनों एक साथ संभव हैं, यदि उनमें राष्ट्रहित की भावना हो।
11 फरवरी 1942 को उनका निधन हुआ, लेकिन उनके विचार आज भी जीवित हैं। जमनालाल बजाज के आदर्शों को सम्मान देने के लिए भारत सरकार ने उनके नाम पर “जमनालाल बजाज पुरस्कार” की स्थापना की, जो हर वर्ष समाजसेवा, ग्राम विकास, महिला सशक्तिकरण और गांधीवादी सिद्धांतों के प्रचार में उत्कृष्ट योगदान देने वालों को दिया जाता है।
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जमनालाल बजाज का जीवन हमें यह सिखाता है कि समृद्धि का अर्थ केवल धन नहीं, बल्कि समाज के प्रति जिम्मेदारी भी है। उनके जन्मदिन के अवसर पर हम उनके जीवन से प्रेरणा लेकर यह प्रण ले सकते हैं कि सादगी, स्वदेशी और सेवा के मार्ग पर चलना ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।