सीनियर सिटीजन (सौजन्य : सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : इंश्योरेंस रेग्यूलेटर आईआरडीएआई ने सीनियर सिटीजन को एक बड़ी राहत देने की योजना बनायी है। सालाना हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम पर अब सीनियर सिटीजन को अधिकतम 10 प्रतिशत तक ही भुगतान करना पड़ेगा। जिसका मतलब है कि इंश्योरेंस कंपनियां सीनियर सिटीजन की सालाना हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम में प्रतिशत से ज्यादा की बढ़त नहीं कर सकती है। कुछ मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आईआरडीएआई ने कहा है कि इंश्योरेंस कंपनियों को सीनियर सिटीजन के लिए निर्धारित पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को बंद करने से पहले अप्रूवल लेना होगा।
इंश्योरेंस रेग्यूलेटर का कहना है कि प्रीमियम में अगर प्रस्तावित बढ़त सालाना आधार पर 10 प्रतिशत से ज्यादा है, तो अप्रूवल मंजूर करना होगा। साथ ही सीनियर सिटीजन को दिए जाने वाले पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को वापस लेने के मामले में भी कंपनियों को अप्रूवल लेना काफी जरूरी है।
आईआरडीएआई ने कहा है कि सीनियर सिटीजन के पास इनकम के लिमिटेड सोर्स होते हैं। हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम में तेजी से बढ़त होने पर सीनियर सिटीजन सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। ये मामला आईआरडीएआई का ध्यान आकर्षित कर रहा है और ये एक रेग्यूलेटर के लिए चिंता का विषय साबित हो सकता है। इससे अचानक से होने वाले बदलावों को रोका जा सकता है, जिससे सीनियर सिटीजन जरूरी कवरेज से वंचित रह सकते हैं।
आईआरडीएआई ने कहा है कि प्रीमियम रेट मुख्य रुप से अनुमानित दावों की राशि और इंश्योरेंस पॉलिसियों को हासिल करने और उनकी सर्विस करने के लिए इंश्योरेंस कंपनी के द्वारा किए गए एक्वीशन कॉस्ट जैसे खर्चों पर आधारिच है। क्लेम एक्सपेंस काफी हद तक अलग-अलग ट्रीटमेंट/सर्जरियों के लिए हॉस्पिटल द्वारा ली जाने वाली राशि पर निर्भर करता है। आईआरडीएआई ने इंश्योरेंस फर्मों को हॉस्पिटल के ज्वाइंट पैनल की सुविधा देने और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के समान चर्चा की गई पैकेज दरें स्थापित करने का निर्देश दिया है।
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इंश्योरेंस रेग्यूलेटर ने कहा है कि प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के विपरीत, जहां अस्पताल में एडमिट होने के खर्च को पैकेज दरों के लिए केंद्रीय रुप से बातचीत की जाती है और इस प्रकार हॉस्पिटल में स्टैंडर्डाइज्ड किया जाता है। हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के मामले में ऐसा कुछ नहीं है।