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नई दिल्ली: स्वास्थ्य बीमा का लाभ उठाने वाले मरीजों और उनके परिजनों को अब दावे की मंजूरी और भुगतान में देरी से जूझना नहीं पड़ेगा। सरकार स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र में बड़ा बदलाव लाने की तैयारी में है, जिसके तहत सभी बीमा कंपनियों के लिए कैशलेस उपचार की मंजूरी एक घंटे के भीतर और अंतिम दावा निपटान तीन घंटे में अनिवार्य किया जाएगा। इस प्रस्तावित बदलाव का उद्देश्य बीमाधारकों को त्वरित और पारदर्शी सेवा देना है, जिससे इलाज के दौरान उत्पन्न मानसिक और आर्थिक बोझ को कम किया जा सके।
स्वास्थ्य बीमा की दिशा में यह बदलाव बीमा प्रणाली को ज्यादा पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के प्रयास का हिस्सा है। सरकार इसके लिए भारतीय मानक ब्यूरो की तरह बीमा क्षेत्र में भी संचालन मानक लागू करने पर विचार कर रही है, ताकि न केवल त्वरित सेवा मिले, बल्कि दावों की अस्वीकृति की बढ़ती घटनाओं पर भी रोक लग सके। कई बार बीमा कंपनियों ने 100 प्रतिशत कैशलेस दावों को खारिज कर दिया, जिससे मरीजों को भारी असुविधा हुई है। इन स्थितियों को नियंत्रित करने के लिए नियमों को सख्ती से लागू करने की योजना है।
सभी अस्पतालों में एक जैसा फॉर्म
बीमा प्रक्रिया को सरल और तेज बनाने के लिए अब सभी अस्पतालों में एक जैसे फॉर्म और आवेदन पत्र लाए जाएंगे, जिसे एक पेशेवर एजेंसी के जरिए मानकीकृत किया जाएगा। इससे दावों की प्रक्रिया को सुगम और समयबद्ध बनाने में मदद मिलेगी।
डिजिटल व्यवस्था के जरिए पारदर्शिता
राष्ट्रीय स्वास्थ्य दावा एक्सचेंज के जरिए बीमा प्रक्रिया को डिजिटल और पारदर्शी बनाने पर काम चल रहा है, जिससे मरीज और अस्पताल दोनों ही वास्तविक समय में प्रक्रिया को ट्रैक कर सकें। इसके लिए स्वास्थ्य प्राधिकरण और बीमा नियामक साथ मिलकर नए दिशा-निर्देश तैयार कर रहे हैं।
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बीमा विशेषज्ञों का कहना है कि सर्जरी की दरें और दस्तावेज पूरे देश में एक जैसे हों तो दावा प्रक्रिया और भी तेज हो सकती है। बीमा प्रीमियम में तेजी से हो रही बढ़ोतरी भी इस बदलाव की जरूरत को रेखांकित करती है। आंकड़ों के अनुसार, भारत में 26 सामान्य बीमा कंपनियां, दो विशेष बीमाकर्ता और सात स्वतंत्र स्वास्थ्य बीमा कंपनियां हैं, जबकि अस्पतालों की संख्या लगभग 2,00,000 है। 2023 में स्वास्थ्य बीमा दावों का औसत आकार 11.35% बढ़ा, जो चिकित्सा लागतों और मुद्रास्फीति में वृद्धि को दर्शाता है।