हेल्थ इंश्योरेंस (फाइल फोटो )
नई दिल्ली : हर कोई अपने भविष्य को सिक्योर करने के लिए पहले से ही हेल्थ इंश्योरेंस लेने की तैयारी कर लेते हैं। इसी सिलसिले में इंश्योरेंस कंपनियों के लिए एक बहुत ही अच्छी खबर आ रही है।
बताया जा रहा है कि चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीनों में हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम ने 1 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर लिया है, जो पिछले साल की समान अवधि में जुटाए गए 90,785 करोड़ रुपये से 10 प्रतिशत ज्यादा है। हालांकि, पिछले वित्त वर्ष में 20 प्रतिशत के मुकाबले में प्रीमियम में बढ़ोतरी की रफ्तार धीमी रही है।
पिछले वित्त वर्ष में लोगों ने इंश्योरेंस प्रीमियम के तौर पर 1.07 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था। जनवरी 2025 तक इंश्योरेंस प्रीमियम 1 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। नॉन-लाइफ इंश्योरर्स की डेटा से ये खुलासा हुआ है। इतना ही नहीं, व्यक्तिगत स्वास्थ्य खंड में बढ़त सबसे तेज हुई है, जो 13.5 प्रतिशत से बढ़कर 37,068 करोड़ रुपये हो गया है। ये टोटल प्रीमियम का 38 प्रतिशत है। इंश्योरेंस कंपनियों के द्वारा आमतौर पर अपने कर्मचारियों के लिए खरीदे जाने वाले ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस की सबसे ज्यादा 53 प्रतिशत हिस्सेदारी रही है। इस सेगमेंट में प्रीमियम 12.4 प्रतिशत से बढ़कर
47,312 करोड़ रुपये हो गया है।
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इसके उलट, आयुष्मान भारत योजना जैसी सरकारी स्कीम्स के प्रीमियम में 9.7 प्रतिशत तक की गिरावट आयी है, ये सिर्फ 8,828 करोड़ रुपये ही रहा। इस योजना के अंतर्गत, राज्य सरकारें या तो इंश्योरेंस खरीदती हैं या क्लेम के सेटलमेंट के लिए ट्रस्ट की स्थापना करती हैं। वित्त वर्ष 2024 में सरकारी स्कीम, ग्रुप इंश्योरेंस और पर्सनल पॉलिसियों इन 3 सेगमेंट में दोहरे अंक में बढ़त दर्ज की गई है। इस साल टोटल प्रीमियम ग्रोथ घटकर 10.4 प्रतिशत रह गई है। जबकि इंश्योरेंस कंपनियों के द्वारा दरों में संशोधन के बाद पॉलिसीहोल्डर्स में 10 प्रतिशत तक की बढ़त हुई है। इधर, इंश्योरेंस प्रीमियम में तेज उछाल को देखते हुए हेल्थ इंश्योरेंस पर 18 प्रतिशत जीएसटी छूट दिए जाने की डिमांड अब और भी ज्यादा बढ़ गई है।