स्विस बैंकों से भारतीयों का मोहभंग
नई दिल्ली : हमारे देश में जब भी स्विस बैंक की चर्चा होती है तो सबका ध्यान काला धन पर चला जाता है और माना जाता है कि स्विस बैंक में अधिकतर लोगों के काले धन ही जमा हैं। मोदी सरकार बनने के बाद से स्विस बैंक भारतीय नागरिकों की पसंद नहीं बन पा रहा है। इसीलिए देखा जा रहा है कि वहां पैसे जमा की जाने वाले लोगों की संख्या व रकम में भी गिरावट देखी गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि स्विस बैंकों में स्थानीय शाखाओं और अन्य वित्तीय संस्थानों के जरिये जमा कराये गए पैसों में भारतीयों की हिस्सेदारी कम हो रही है। आंकड़ों के मुताबिक नागरिकों और कंपनियों का धन 2023 में 70 फीसदी की गिरावट के साथ चार साल के निम्न स्तर पर पहुंच गया।
बैंक के ताजा आंकड़े बताते हैं कि यह रकम 1.04 अरब स्विस फ्रैंक यानी 9,771 करोड़ रुपये ही रह गई है, जबकि 2021 में 14 सालों के उच्चतम स्तर के साथ यह 3.83 अरब स्विस फ्रैंक यानी करीब साढ़े तीन गुना ज्यादा बतायी जा रही थी।
आपको बता दें कि स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक की ओर से बृहस्पतिवार को जारी वार्षिक आंकड़ों के मुताबिक, स्विस बैंकों में भारतीय ग्राहकों के कुल धन में लगातार दूसरे वर्ष यह गिरावट देखी गयी है। इसका मुख्य कारण यह है कि बॉन्ड, प्रतिभूतियों और अन्य वित्तीय साधनों के माध्यम से धन जमा करने का रुझान घटा है। इसके अलावा, ग्राहक जमा खातों में जमा राशि और भारत में अन्य बैंक शाखाओं के माध्यम से रखे गए धन में भी खासी गिरावट आई है।स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) के आंकड़ों के मुताबिक, 2006 में कुल राशि लगभग 6.5 अरब स्विस फ्रैंक के रिकॉर्ड स्तर पर थी।
ताजा आंकड़ा स्विस नेशनल बैंक को बैंकों की तरफ से दी गई जानकारी पर आधारित बताया जा रहा है। साथ ही साथ इस बात की सफाई दी गयी है कि इसका स्विट्जरलैंड में जमा भारतीयों के कथित काले धन की मात्रा से कोई लेना-देना नहीं हैं। दरअसल, इन आंकड़ों में वह धन शामिल ही नहीं है जो भारतीयों, एनआरआई या अन्य लोगों ने तीसरे देश की संस्थाओं के नाम पर स्विस बैंकों में जमा कर रखा हो।