ड्रोन इंपोर्ट (सौ. सोशल मीडिया )
ऑपरेशन सिंदूर के बाद से लगातार भारत अपने डिफेंस सेक्टर को बढ़ाने की कोशिश में जुटा हैं। इसी सिलसिले में भारत की केंद्र सरकार ने ड्रोन बनाने वाली कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए लगभग 1,950 करोड़ रुपये यानी 234 मिलियन डॉलर की लागत का इंसेंटिव प्रोग्राम शुरु करने की तैयारी में हैं।
इस स्कीम का लक्ष्य देश में ही सिविल और मिलिट्री ड्रोन का कंस्ट्रक्शन बढ़ाना, ताकि चीन और तुर्किये जैसे देशों की मदद से पाकिस्तान में बनने वाले ड्रोन प्रोग्राम का मजबूती से मुकाबला कर सकते हैं। भारत ने ये फैसला मई के महीने में पाकिस्तान के साथ हुए टेंशन के बाद लिया है। इस दौरान पहली बार दोनों देशों ने एक दूसरे के खिलाफ ड्रोन अटैक किया था। अब इन दोनों देशों के बीच में ड्रोन बनाने की रेस शुरु हो गई है।
केंद्र सरकार इस नई स्कीम के अंतर्गत आने वाले 3 सालों में ड्रोन, उसके स्पेयर पार्ट्स, सॉफ्टवेयर, एंटी-ड्रोन सिस्टम और इससे जुड़ी सर्विसेज के कंस्ट्रक्शन पर इंसेंटिव देगी। ये पहले से मौजूद 120 करोड़ रुपये की प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव यानी पीएलआई स्कीम से कहीं गुना ज्यादा है। पहले वाली स्कीम को सफलता नहीं मिली थी, क्योंकि स्टार्टअप्स को फंडिंग और रिसर्च में दिक्कतें आने लगी थी।
जानकारी के अनुसार, इस स्कीम का उद्देश्य है कि फाइनेंशियस ईयर 2027-28 यानी मार्च 2028 तक कम से कम 40 प्रतिशत जरूरी ड्रोन कंपोनेंट्स मेड इन इंडिया होंगे। अभी भारत कई ड्रोन के कंपोनेंट्स जैसे सेंसर और इमेजिंग सिस्टम चीन से इंपोर्ट करता हैं।
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भारत ने दूसरे देशों से ड्रोन के इंपोर्ट को तो बैन कर दिया है, लेकिन उनके कंपोनेंट्स अभी भी बाहर से ही इंपोर्ट किए जाते हैं। सरकार अब उन कंपनियों को और भी ज्यादा फायदा दे सकती है, जो अपने कंपोनेंट्स भारत से ही खरीदेंगी। साथ ही, भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक यानी एसआईडीबीआई इस स्कीम में मदद के लिए कंपनियों को सस्ते लोन और रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए भी फंड दिया जाएगा।