अमेरिका- चीन ट्रेड वॉर (सौजन्य : सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : दुनिया की सबसे बड़ी 2 इकोनॉमी अमेरिका और चीन के बीच में ट्रेड वॉर छिड़ गई है। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने चीन से अमेरिका पहुंचने वाले सामान पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगाना शुरू किया जा चुका है, वहीं चीन ने भी अमेरिका की कुछ चीजों पर 10 से 15 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है। अमेरिका और चीन के बीच चल रहे इस ट्रेड वॉर का सीधा फायदा भारत को हो सकता है। हालांकि भारत को इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए सावधानी बरतने की जरूरत है।
बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 फरवरी को अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलने वाले हैं। इस मीटिंग के बाद ये पता चल सकता है कि बदलते इकोनॉमिक वातावरण से भारत को इस द्विपक्षीय मीटिंग का कितना लाभ हो सकता है। आपको बता दें कि इससे पहले कई बार भारत को टैरिफ किंग या बिजनेस रिलेशन का सबसे ज्यादा गलत इस्तेमाल करने वाला करार दे चुके हैं। इन आरोपों के बाद भी भारत ने ट्रंप की आलोचना करने से खुद को दूर रखा है ताकि इसका पूरा ध्यान अभी चीन का सामना करने में ही है।
चीन और अमेरिका के बीच चल रहे इस ट्रेड वॉर में उलझने से भारत को बचने की जरूरत है। अब सवाल ये उठता है कि अमेरिका और चीन के बीच इस टैरिफ वॉर से भारत को क्या फायदा होगा? जिसके जवाब में मीडिया के बाच करते हुए एक्सपर्ट्स ने कहा है कि ट्रंप के पहले कार्यकाल का भी असर अमेरिका और चीन के बिजनेस रिलेशन पर पड़ा था। उस समय में जिन देशों को सबसे ज्यादा फायदा मिलने वाले देशों में भारत का चौथा स्थान था। उम्मीद जतायी जा रही है कि इस बार भी भारत के एक्सपोर्टर्स को मिलने वाले ऑर्डर में बढ़त हो सकती है।
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भारत और अमेरिका के बीच बिजनेस रिलेशन काफी शानदार रहा है। वित्त वर्ष 2025 के अप्रैल से दिसंबर में भारत से अमेरिका में 60 मिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट किया गया था, जबकि इंपोर्ट 33.4 बिलियन डॉलर रहा था।
हालांकि टैरिफ लगने के कारण अमेरिका में चीन के सामानों की कीमत ज्यादा हो सकती है, इसीलिए हो सकता है कि अमेरिका के खरीददार ऑप्शननल सप्लायर्स की खोज में भारत का रुख कर सकते है। उम्मीद जतायी जा रही है कि भारत की इलेक्ट्रिकल मशीनरी, ऑटो कंपोनेंट, फार्मास्यूटिकल्स, केमिकल, कपड़े और मोबाइल फोन की डिमांड अमेरिका में बढ़ सकती है।