प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली: अर्थव्यवस्था में सुस्ती की वजह से शहरों और महानगरों में रहने वाले युवा कर्ज लेने से कतरा रहे हैं। इससे वित्त वर्ष 2024-25 की अंतिम तिमाही (जनवरी-मार्च) के दौरान रिटेल लोन की वृद्धि दर घटकर पांच प्रतिशत रह गई है। एक साल पहले समान तिमाही में यह वृद्धि दर 12 प्रतिशत रही थी।
ट्रांसयूनियन सिबिल ने सोमवार को एक रिपोर्ट जारी करते हुए यह आंकड़े दिए हैं। इसके मुताबिक, क्रेडिट कार्ड एवं कंज्यूमर ड्यूरेबल जैसे रिटेल लोन की मांग काफी तेज से कम हो रही है। 35 वर्ष से कम आयु के अधिकांश कस्टमर यही लोन लेते हैं।
गौरतलब है रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने 2023 के आखिरी में रिस्की अनसिक्योर्ड लोन सेक्टर में हो रही इजाफा पर रोक लगाने के लिए उपाय लागू किए थे। इसके पीछे का मकसद था की क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन सेक्टर में हो रही वृद्धि को कंट्रोल किया जा सके। रिपोर्ट के मुताबिक, क्रेडिट कार्ड में पिछले समान वर्ष की समान अवधि के शन्यू प्रतिशत के मुकाबले 32 प्रतिशत गिरावट है। वहीं, पर्सनल लोन की वृद्धि बीते वर्ष के 13 प्रतिशत के मुकाबले छह प्रतिशत पर आ गई है। कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन भी 19 फीसदी से गिरकर केवल छह फीसदी रह गया है। इन आंकड़ों से यह पता चलता है कि 35 वर्ष या इससे कम उम्र के कस्टर की मांग में ज्यादा गिरावट रही, जिससे नए लोन सोर्स तीन फीसदी गिरकर 16 फीसदी पर आ गए।
ट्रांसयूनियन के मैनेजिंग डायरेक्टर भावेश जैन ने कहा कि नए कर्ज के जरिए कस्टमर को फाइनेंशियल सिस्टम तक पहुंचाने की गति में गिरावट चिंता का विषय है, खासकर तब, जब हमारी आबादी में बड़ा हिस्सा फॉर्मल क्रेडिट सिस्टम से बाहर है।
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बता दें कि वित्त वर्ष 2025 की तौथी तिमाही में होम लोन लेने वाली ग्राहकों की संख्या में 7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। एक साल पहले इसी समय के दौरान इसमें 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। हालांकि, एक करोड़ रुपये अधिक के लोन में 9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। वहीं, व्हीकल लोन लेने में भी प्राथमिकता दी गई है। कुल पूछताछ में ग्रामीण क्षेत्रों की हिस्सेदारी बढ़कर 22 फीसदी हो गई। एक वर्ष पहले यह 20 फीसदी थी। अर्ध शहरी क्षेत्र में यह एक फीसदी बढ़कर 30 फीसदी हो गई है।