(प्रतीकात्मक तस्वीर)
Silver Price: इस साल चांदी में 43 प्रतिशत की शानदार तेजी आई है, जो सोने की 37 प्रतिशत की बढ़त से भी अधिक है। यही वजह है कि निवेशक अब इसकी ओर अधिक आकर्षित हो रहे हैं। लेकिन विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि चांदी की यह चमक ज्यादा दिनों तक बरकरार रहना मुश्किल है। इसलिए एक साथ निवेश करने से बचें। वर्तमान में कमोडिटी एक्सचेंज पर चांदी का भाव 42.5 डॉलर प्रति औंस है, जो अभी भी 2011 के अपने 50 डॉलर प्रति औंस के शिखर से नीचे है।
देश में चांदी के भाव 1.32 लाख रुपये का रिकॉर्ड शिखर छ चुके हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच इसकी कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है और अगले तीन महीनों में इसकी रफ्तार धीमी पड़ सकती है। यह 40 डॉलर प्रति औंस के आसपास टिक सकती है।
इस साल सोने और चांदी की तरफ निवेशक अधिक आकर्षित हुए हैं। उच्च जोखिम वाले पोर्टफोलियो में आधा निवेश सोने की जगह अब चांदी में किया जा रहा है, जबकि सुरक्षित निवेश करने वाले भी 20 से 30 प्रतिशत हिस्सा चांदी में लगाने लगे हैं। आमतौर पर कीमती धातुएं कुल निवेश का 10 से 15% हिस्सा होती हैं। चांदी का अत्यधिक अनिश्चित व्यवहार का इतिहास रहा है।
आंकड़े बताते है कि 2012 से 2020 के बीच उन्हें लंबी अवधि तक नुकसान उठाना पड़ा और आठ साल बाद जाकर ही वे अपनी रकम निकाल पाए। ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के मुताबिक, 2013 से 2015 के बीच चांदी की कीमत लगभग आधी रह गई थी और लगातार तीन साल तक इसमें गिरावट आई।
मॉर्निंगस्टार इंडिया के शोध निदेशक कौस्तुभ बेलापुरकर के अनुसार, छोटी अवधि के लिए चांदी में एकमुश्त निवेश करना जोखिम भरा दांव साबित हो सकता है। निवेशकों को सोच-समझकर और धीरे-धीरे निवेश करना चाहिए। हालांकि, लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं तो फायदा संभव है। खुदरा निवेशकों के लिए सिल्वर ईटीएफ सबसे अच्छा विकल्प है।
चूंकि चांदी का इस्तेमाल कई क्षेत्रों में होता है, इसलिए यह सोने की तुलना में ज्यादा ‘अस्थिर’ रहती है। खासकर जब औद्योगिक मांग में गिरावट आती है। वर्तमान में सौर ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहन और 5जी ढांचे जैसे क्षेत्रों में भारी निवेश की वजह से दुनियाभर में चांदी की औद्योगिक मांग बढ़ी है लेकिन आपूर्ति स्थिर बनी हुई है। इंडोनेशिया और चिली जैसी जगहों पर इसकी खदानें बंद होने से दबाव और बढ़ गया है।
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सिल्वर इंस्टीट्यूट के आंकड़ों के अनुसार, 2025 में चांदी की आपूर्ति में कमी कुछ हद तक कम हो सकती है, जिसका असर कीमतों की रफ्तार पर पड़ेगा। इसलिए चांदी के मौजूदा भाव लंबे समय तक टिके रह सकते हैं।