सीबीआईसी (सौजन्य : सोशल मीडिया)
नई दिल्ली : देश में फर्जी रजिस्ट्रेशन के कारण कर चोरी के मामले बढ़ते जा रहे है। इसी कड़ी मे भारत के कर अधिकारियों ने जीएसटी के अंतर्गत करीब 10,700 फर्जी रजिस्ट्रेशन के बारे में जानकारी हासिल की है। जिसके कारण तकरीबन 10,179 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी हुई है।
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड यानी सीबीआईसी के सदस्य शशांक प्रिय ने कहा है कि, “माल एवं सेवा कर यानी जीएसटी रजिस्ट्रेशन के लिए आधार प्रमाणीकरण पहले से ही 12 राज्यों में लागू है और 4 अक्टूबर तक अन्य चार राज्य को भी इसमें शामिल किया जाएगा। अंततः मध्य प्रदेश, राजस्थान, असम, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और हरियाणा सहित 20 राज्य आधार प्रमाणीकरण शुरू करेंगे।”
‘एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया’ यानी एसोचैम के एक कार्यक्रम में शशांक प्रिय ने कहा कि आगामी समय में टैक्स अधिकारी नए टैक्सपेयर्स पर उनके जोखिम ‘प्रोफाइल’ के आधार पर कुछ पाबंदियां भी लगा पाएंगे। उन्होंने कहा, ‘‘ वे एक महीने में कितने ‘बिल’ जारी कर सकते हैं, हम भविष्य में उसपर भी कुछ पाबंदियां लगा सकते हैं, हम इस सिस्टम के दुरुपयोग से बेहद दुखी हैं। हमें इन्हें रोकने के लिए सभी संभव तरीकों का इस्तेमाल करना होगा।”
सीबीआईसी के अधिकारी ने कहा कि सरकार फर्जी जीएसटी रजिस्ट्रेशन की जांच के लिए लक्षित कार्रवाई कर रही है और अधिक फिजिकल वेरिफिकेशन हो रहा है। फर्जी रजिस्ट्रेशन के खिलाफ 16 अगस्त से शुरू हुआ दूसरा अखिल भारतीय अभियान 15 अक्टूबर तक चलेगा। उन्होंने कहा कि कर अधिकारियों ने 67,970 जीएसटीआईएन यानी माल एवं सेवा कर पहचान संख्या की पहचान की है। इनमें से 59 प्रतिशत जीएसटीआईएन या 39,965 का वेरिफिकेशन 22 सितंबर तक हो चुका है।
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शशांक प्रिय ने कहा, ‘‘ इनमें 27 प्रतिशत ऐसे इंस्टीट्यूट पाए गए हैं जो अस्तित्व में ही नहीं हैं। यह प्रतिशत पिछले अभियान की तुलना में करीब समान है। हमने 10,179 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी का पता लगाया है। 2,994 करोड़ रुपये की इनपुट कर क्रेडिट यानी आईटीसी को रोका गया है। साथ ही 28 करोड़ रुपये की वसूली भी की गई है।
फर्जी रजिस्ट्रेशन के खिलाफ पहला अभियान 16 मई से 15 जुलाई, 2023 के बीच चलाया गया था। इसमें जीएसटी रजिस्ट्रेशन वाली कुल 21,791 ऐसी यूनिट्स पाई गईं थीं जो अस्तित्व में नहीं थीं। पिछले साल पहले विशेष अभियान में 24,010 करोड़ रुपये की संदिग्ध टैक्स चोरी का पता चला था। उन्होंने कहा कि जीएसटी अरेंजमेंट में बेमेल आंकड़ों की समस्या है, जिसके कारण पिछले फाइनेंशियल ईयर 2023-24 में टैक्स ऑफिसरों के द्वारा 1,12,852 कारण बताओ नोटिस जारी किए गए।
उन्होंने साथ ही कहा कि भविष्य में जब जीएसटीआर-1ए और ‘इनवॉयस मैनेजमेंट सिस्टम’ यानी आईएमएस स्थिर हो जाएंगे तो जीएसटीआर-3बी को संपादित करने की सुविधा की आवश्यकता नहीं होगी। जीएसटीआर-1ए करदाताओं को ‘बाहरी आपूर्ति’ या ‘बिक्री रिटर्न फॉर्म’ यानी जीएसटीआर-1 में संशोधन करने का ऑप्शन देता है, जबकि जीएसटीआर-3बी का इस्तेमाल मंथली टैक्स का भुगतान करने के लिए किया जाता है।
इसके अलावा, जीएसटीएन 1 अक्टूबर से आईएमएस शुरू करेगा जो टैक्सपेयर्स को सही ‘इनपुट टैक्स क्रेडिट’ यानी आईटीसी प्राप्त करने के लिए अपने आपूर्तिकर्ताओं द्वारा जारी किए गए रिकॉर्ड/बिल का मिलान करने की सुविधा देगा। आईएमएस करदाताओं को मंच के जरिये अपने आपूर्तिकर्ताओं के साथ बिल में सुधार/संशोधन करने में भी सक्षम बनाएगा।
(एजेंसी इनपुट के साथ)