(प्रतीकात्मक तस्वीर)
GST Reforms: 79वें स्वतंत्रता दिवस पर दिल्ली के लाल किले से पीएम मोदी ने अपने भाषण में GST में कई बड़े बदलाव के संकेत दे चुके हैं। इस बदलाव से हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम पर बड़ा असर देखने को मिल सकता है। केंद्र सरकार जीएसटी दरों को पहले के मुकाबले और सरल बनाने की योजना पर काम कर रही है। इसी बीच GST काउंसिल के एक विशेष मंत्री समूह ने सुझाव दिया है कि स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम को जीएसटी के दायरे से बाहर कर दिया जाए। अगर यह प्रस्ताव मंजूर होता है, तो आम लोगों को इस टैक्स के बोझ से बड़ी राहत मिल सकती है।
जीएसटी 2.0 रिफॉर्म का उद्देश्य देश के जीएसटी सिस्टम को सरल और सभी के लिए फायदेमंद बनाना है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि इस सुधार से खासकर किसानों, मध्यम वर्ग और छोटे कारोबारियों को लाभ मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्वतंत्रता दिवस के भाषण में इस रिफॉर्म को दिवाली का तोहफा बताया था।
सरकार की योजना है कि जीएसटी की मौजूदा चार स्लैब 5, 12,18 और 28 प्रतिशत को खत्म कर केवल दो स्लैब्स 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत को रखा जाए। इसके साथ ही सिगरेट और लग्जरी कार जैसी कुछ वस्तुओं पर 40 प्रतिशत की हाई जीएसटी दर लागू रहेगी। गौरतलब है कि अभी तक हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगती है। लेकिन मंत्री समूह ने यह सुझाव दिया है कि इसे पूरी तरह से जीएसटी से मुक्त कर दिया जाए। इसका मतलब होगा कि अब बीमा पॉलिसी खरीदने पर आपको 18 प्रतिशत टैक्स की बचत होगी, जिससे प्रीमियम सस्ता होगा।
यह बैठक बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की अध्यक्षता में हुई, जिसमें इस छूट के पक्ष में मजबूत सहमति बनी। हालांकि, कुछ राज्यों को चिंता है कि इस छूट का लाभ बीमा कंपनियों से सीधे ग्राहकों तक पहुंचेगा या नहीं। क्योंकि बीमा कंपनियों को इस पर इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलेगा। इस पर भी मंत्री समूह ने ध्यान दिया और जीएसटी परिषद से कहा है कि ऐसा कोई तरीका निकाला जाए जिससे यह फायदा आम जनता तक पहुंचे।
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इस सुधार के बाद टैक्स सिस्टम और ज्यादा सरल हो सकती है। वित्त मंत्री ने कहा कि यह बदलाव घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देंगे और देश को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने में मदद करेंगे। साथ ही उपभोक्ताओं को जरूरी वस्तुएं और सेवाएं आसानी से और कम दाम में मिल सकेंगी। अब आगे मंत्री समूह अपनी रिपोर्ट जीएसटी परिषद को सौंपेगा, जो सितंबर में मिलने वाली है। परिषद में राज्यों और केंद्र के मंत्री मिलकर अंतिम निर्णय लेंगे। दरों में बदलाव और छूट के फैसले इसी बैठक में लिए जाएंगे।