गिग वर्कर्स (सौ. सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : क्विक कॉमर्स सेक्टर में काम करने वाले और फूड डिलावरी कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों को गिग वर्कर्स कहा जाता है। इन्हीं गिग वर्कर्स को सरकार ने एक शानदार तोहफा दिया है। आपके ऑनलाइन ऑर्डर को मिनटों में आप तक पहुंचाने वाले डिलीवरी ब्वॉय को भी अब मोदी सरकार पेंशन देगी। जिसके कारण बिना नौकरी, बिना सैलरी या डेली वेज पर काम करने वाले या ट्रांसेक्शन के आधार पर काम पेमेंट पाने वाले डिलीवरी ब्वॉय, कूरियर ब्वॉय सहित देश के 1 करोड़ गिग वर्कर्स को इस पेंशन की सुविधा का लाभ होगा।
दरअसल, केंद्र सरकार की लेबर मिनिस्ट्री ने इससे जुड़े पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। राज्य सरकारों, ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधियों और कारोबारी संगठनों के साथ इस पर चर्चा के बाद से इसे लागू किया जाएगा। भारत की सरकार फिलहाल इस पॉलिसी पर सभी संबंधित पक्षों के बीच सहमति बनाने की कोशिश कर रही है।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गिग वर्कर्स को पेंशन की फैसिलिटी देने के साथ ही दूसरी सोशल सिक्योरिटी से संबंधित सुविधा देने के लिए मोदी सरकार हर गिग वर्कर को यूएएन यानी यूनिवर्सल एकाउंट नंबर की सुविधा देगी। इस नंबर के माध्यम से चाहे गिग वर्कर किसी भी प्लेटफॉर्म या कंपनी के साथ काम करें, वे पेंशन या सामाजिक सुरक्षा से संबंधित दूसरी सुविधाओं का प्रॉफिट उठा सकेंगे। इसके लिए उन्हें ई-क्षम पोर्टल पर जाकर रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा। गिग वर्कर्स को पेंशन की ये सुविधा उनके ट्रांसेक्शन के साथ लिंक होगी। जिसका मतलब है कि वे कितना काम करते हैं या डिलीवरी ब्वॉय के रुप में कितनी डिलीवरी करते हैं, इसके आधार पर ही उसके पेंशन के लिए योगदान की गिनती होगी।
बाकी पेंशन लायबिलिटी का बंटवारा केंद्र की मोदी सरकार और राज्य सरकार आपस में करेगी। जीएसटी शेयरिंग फॉर्मूले के आधार पर भी यही बंटवारा तय हो सकता है। कंपनियों की मॉनिटरिंग और गिग वर्कर्स की देखभाल के लिए भी केंद्र सरकार और राज्य सरकार आपस में यही तरीका अपनाने वाली हैं। इसके अंतर्गत, भारत सरकार गिग वर्कर्स की पूरी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहती है। इसकी डिमांड काफी समय पहले की जा रही थी।
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गिग वर्कर्स के पेंशन फंड में एग्रीगेट्स प्लेटफॉर्म चलाने वाली कंपनियों को भी अपना योगदान देना होगा। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पॉलिसी का अभी जो शुरूआती ड्राफ्ट तैयार किया गया है, उसके अंतर्गत गिग वर्कर्स से काम लेने वाली कंपनियों को अपने सालाना टर्नओवर का 1 से 2 प्रतिशत योगदान इस फंड में देना पड़ सकता है।