तुहिन कांत पांडेय (सौ. सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : इस बार के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इनकम टैक्स में बड़े और अहम बदलाव किए हैं। फाइनेंस सेक्रेटरी तुहिन कांत पांडेय ने सोमवार को कहा है कि गुड्स एंड सर्विस टैक्स यानी जीएसटी को लागू करने के संबंध में पर्याप्त एक्सपीरियंस मिल चुका है और अब राज्यों के साथ विचार विमर्श करके इन टैक्स दरों को रेशनलाइज्ड करने की जरूरत है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में राज्य सरकारों के मंत्रियों वाली जीएसटी काउंसिल ने जीएसटी रेट्स में बदलाव के साथ-साथ स्लैब को कम करने का सुझाव देने के लिए मंत्रियों के समूह यानी जीओएम का गठन किया है। जीएसटी रेट्स और ‘स्लैब’ में फेरबदल पर रिपोर्ट काफी समय से रूकी हुई है। उम्मीद थी कि दिसंबर में होने वाली काउंसिल की आखिरी मीटिंग में मंत्री समूह अपनी रिपोर्ट पेश कर देगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
उद्योग मंडल फिक्की की बजट बाद बैठक में एक उद्योग प्रतिनिधि के सवाल पर पांडेय ने कहा कि 2017 में जीएसटी के क्रियान्वयन के बाद कराधान में पारदर्शिता आई है। राजस्व सचिव की भी जिम्मेदारी संभाल रहे पांडेय ने कहा है कि अब जब हमारे पास जीएसटी को लागू करने के बाद का कुछ अनुभव है, तो यह देखना बहुत महत्वपूर्ण होगा कि आगे चीजें किस तरह आगे बढ़ेंगी। इस प्रक्रिया के लिए परिषद में राज्यों के साथ और ज्यादा परामर्श की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि दरों को युक्तिसंगत बनाने का कार्य प्रगति पर है। उन्होंने उम्मीद व्यक्त की कि यह कार्य पूरा हो जाएगा। पांडेय ने कहा कि इसे युक्तिसंगत बनाने की जरूरत है। ऐसा माना जा रहा है कि इसकी आवश्यकता है। यह वास्तव में कैसे लागू हो पाएगा और हम किन संख्याओं पर पहुंच पाएंगे, हम किन दरों पर पहुंच पाएंगे, इस बारे में आगे की प्रक्रिया जीओएम द्वारा तय की जाएगी।
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जीएसटी वर्तमान में एक चार-स्तरीय कर संरचना है जिसमें 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत की ‘स्लैब’ हैं। विलासिता व अहितकर वस्तुओं पर 28 प्रतिशत की उच्चतम ‘स्लैब’ में कर लगाया जाता है, जबकि ‘पैक’ किए गए खाद्य पदार्थ तथा आवश्यक वस्तुएं सबसे कम पांच प्रतिशत ‘स्लैब’ में हैं।
(एजेंसी इनपुट के साथ)