वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (सौजन्य : सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : आज संसद में देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नया इनकम टैक्स बिल 2025 पेश किया है। इससे पहले 7 फरवरी 2025 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस बिल को मंजूरी दे दी थी। ये नया बिल लगभग 60 साल पुराने इनकम टैक्स एक्ट की जगह लेने जा रहा है। इसके चलते टैक्स सिस्टम को सरल, ट्रांसपरेंट और ज्यादा असरदार बनाया जाएगा।
नए इनकम टैक्स बिल में असेसमेंट ईयर या फाइनेंशियल ईयर की जगह टैक्स ईयर शब्द का उपयोग किया जाने वाला है। ये टैक्स ईयर 1 अप्रैल से 31 मार्च तक की 1 महीने के समय का होगा।
नए बिजनेस के लिए टैक्स ईयर का उपयोग
यदि कोई भी नया बिजनेस या काम शुरू किया जाता है, तो उसका टैक्स ईयर उस दिन से शुरू होगा और उसी वित्तीय साल के आखिरी में खत्म होगा।
कानूनी भाषा में हुआ सुधार
नए इनकम टैक्स में कानूनी शब्दों को आसान और छोटा किया गया है। जिसके बाद इनकम टैक्स को समझना आसान हो सकता है।
लीगल डॉक्यूमेंट्स को किया कम
जहां पुराने इनकम टैक्स में 823 पेज हुआ करते थे, वहीं नए इनकम टैक्स बिल में 622 पेज में तैयार किया गया है।
बढ़े चैप्टर्स और सेक्शन्स
नए इनकम टैक्स बिल में चैप्टर्स की संख्या 23 है, लेकिन इसमें सेक्शन्स 298 से बढ़कर 536 हो गए हैं।
बढ़ाए गए शेड्यूल्स
इस नए इनकम टैक्स बिल में शेड्यूल्स की संख्या 14 से बढ़कर 16 हो गई है।
जटिल प्रावधानों को हटाया
पुराने इनकम टैक्स एक्ट में मौजूद जटिल स्पष्टीकरण और प्रावधान हटा दिए गए हैं, जिसे समझना भी काफी आसान होगा।
वर्चुअल डिजिटल एस्सेट्स
क्रिप्टोकरेंसी जैसे वर्चुअल डिजिटल एस्सेट्स को अब अनडिस्क्लोज्ड इनकम टैक्स के अंतर्गत माना जाएगा।
टैक्स चोरी के उपाय
डिजिटल ट्रांसेक्शन और क्रिप्टो एस्सेट्स पर कड़े प्रावधान, ट्रांसपरेंसी बढ़ाने और टैक्स चोरी को रोकने के लिए लागू किए गए हैं।
टैक्सपेयर्स चार्टर
इस नए इनकम टैक्स बिल में टैक्सपेयर्स चार्टर भी शामिल किया गया है, जो टैक्सपेयर्स के अधिकारों की रक्षा करेगा और टैक्स मैनेजमेंट को ट्रांसपरेंट बनाएगा।
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पुराना इनकम टैक्स एक्ट काफी दशकों पुराना होने के कारण टेक्निकल रुप से जटिल और व्यवहारिक रूप से काफी बोझिल हो गया था। हालांकि इसमें समय समय पर बदलाव किए गए है, लेकिन ये आज की डिजिटल और एडवांस इकोनॉमी के लिए पूरी तरीके से अनुकूल नहीं था।