भारतीय किसान (सौ. सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : मोदी सरकार की जब से सत्ता में वापसी हुई है, तब से सरकार का मेन फोकस देश के किसानों पर रहा है। सरकार ने अन्नदाताओं की इनकम को दोगुना करने का भी लक्ष्य रखा है। इसी सिलसिले में सरकार ने कई कदम भी उठाएं हैं। वहीं देश के किसानों को सरकार प्रधानमंत्री सम्मान निधि योजना की मदद से इकोनॉमिकल हेल्प भी उपलब्ध करवायी जा रही है। अब सरकार ने 10,000 एफपीओ यानी फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन बनाने का टारगेट भी पूरा कर लिया है। आइए जानते हैं कि आखिर कैसे सरकार की ये योजना देश के किसानों को अमीर बनाने में मदद कर रही है।
सरकार ने शुक्रवार को ये जानकारी दी है कि देश में 10,000 एफपीओ बनाने का काम पूरा हो चुका है। सरकार ने इस काम को 20 फरवरी 2020 को शुरू किया था और अब तकरीबन 5 साल में इस लक्ष्य को पूरा कर लिया गया है। एफपीओ के गठन और उन्हें प्रमोट करने के लिए केंद्र सरकार ने एक योजना की शुरूआत की थी। इसका बजट वित्त वर्ष 2027-28 तक के लिए 6,865 करोड़ रुपये तय किया है।
सरकार ने शुक्रवार को ये जानकारी दी है कि देश में 10,000वां एफपीओ बिहार के खगड़िया जिले में रजिस्टर हुआ है। ये केला, धान और मक्का को लेकर काम करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में इसका उद्घाटन भी किया है। कृषि मंत्रालय का ये कहना है कि देश के एग्रीकल्चर सेक्टर के लिए 10,000 एफपीओ का सफलतापूर्वक गठन होना एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। ये देश में एग्रीकल्चर प्रोडक्शन और किसानों की इनकम को बढ़ाने के लिए काम करता है। साथ ही ग्रामीण स्तर पर एंप्लॉयमेंट जनरेशन का भी काम किया जाता है।
एफपीओ के लिए योजना शुरू होने के बाद से ही सरकार ने 4,761 एफपीओ को 254.4 करोड़ रुपये का इक्विटी ग्रांट जारी किया गया है। साथ ही 1,900 एफपीओ को 453 करोड़ रुपये का क्रेडिट गारंटी कवर भी जारी किया गया है। देश के तकरीबन 30 लाख किसान एफपीओ से जुड़े हैं। इसमें से लगभग 40 प्रतिशत महिलाएं हैं। ये एफपीओ अब एग्रीकल्चर सेक्टर में हजारों करोड़ रुपये का कारोबार कर रहे हैं।
अगर इन एफपीओ को आज की भाषा में परिभाषित किया जाए तो ये किसानों का खुद का स्टार्टअप कहना गलत नहीं होगा। ये भारत के सफल को आपरेटिव सिस्टम का एक नया एक्जांपल है। एफपीओ के अंतर्गत किसान आपस में एक समूह बनाकर अपनी उपज या स्थानीय उपज से खुद ही उत्पाद तैयार करते हैं। इसके लिए सरकार उन्हें इक्विटी हेल्प और लोन दोनों उपल्बध करवाती हैं। साथ ही उनके प्रोडक्ट्स के लिए मार्केट एवेलिबिलिटी कराने में भी सरकार मदद करती है।