केद्रीय बजट 2024-2025 वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करने वाली है। इस बार पेश किए जाने वाले बजट पर किसानों की नजरें टिकी हैं। भूमिपुत्रों सरकार और कृषिमंत्री व निर्मला सीतारमण के तरफ उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं।
2023-24 में 13,625 करोड़ रुपए कृषि बजट था। इस बार उम्मीद है कि केंद्र सरकार किसानों पर विशेष ध्यान देगी। किसानों की आय दोगुनी का वादा कर सत्ता में आई सरकार अभी तक विशेष काम कृषि सेक्टर के लिए नहीं कर पाई है।
पंजाब और हरियाणा के किसान केंद्र सरकार से नाराज चल रहे हैं। किसान संगठन लगातार केंद्र सरकार पर प्रेशर बना रहे हैं। उनकी स्थिति खराब हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसानों के प्रति नरम रुख अपनाते हुए बजट में एक्स्ट्रा कुछ करना होगा।
पंजाब के किसान कई महीनों से हरियाणा और पंजाब के बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि एमएसपी गारंटी कानून बनाया जाए। जिससे किसानों की फसलों का उचित रेट मिल सके। सरकार इस विषय पर चुप्पी साधे हुए हैं। ऐसे किसानों को खुश करने के लिए कुछ न कुछ अनिवार्य हो गया है।
वहीं कृषि विभाग के खर्चों को लेकर एक चौकान वाला खुलासा हुआ है। दरअसल कृषि विभाग आवंटित बजट खर्च पूरा खर्ज नहीं कर रहा है। बचा हुआ पैसा हर साल सरकारी खजाने में वापिस कर दे रहे हैं। ऐसा तब जब किसानों की हालात दिन ब दिन खराब होती जा रही है।
भारत के किसान न केवल एमएसपी को लेकर परेशान हैं, बल्कि प्रकृतिक समास्याओं से दो-चार होना पड़ता है। बेमौसम बारिश के कारण अक्सर किसानों की फसल बर्बाद हो जाती है। ऐसे में प्रकृतिक आपदा से होने वाली किसानों को परेशानी से राहत पहुंचाने के लिए बजट में प्रावधान किया जा सकता है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कृषि और किसान कल्याण विभाग ने वित्तीय वर्ष अप्रैल 2022-मार्च 2023 के दौरान अपने 1.24 लाख करोड़ रुपये के वार्षिक आवंटन में से 21,005.13 करोड़ रुपये वापस कर दिए।
कृषि एवं कल्याण विभाग द्वारा पैसे वापिस लौटाने का कोई पहला मामला नहीं है। दर साल ऐसा विभाग द्वारा किया जाता रहा है। जबकि दूसरी तरफ किसान फटे हाल घूम रहा है। आर्थिक परेशानियों से तंग आकर आत्महत्या भी कर रहे हैं।