निर्मला सीतारमण और डोनाल्ड ट्रंप, (फाइल फोटो)
Nirmala Sitharaman on Trump Tariffs: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर अप्रैल में अलग-अलग देशों पर लगाए गए टैरिफ के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था में जिस तरह की उथल-पुथल देखने को मिली, उसने अंतरराष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर कर दिया है। शेयर बाजारों में भारी गिरावट, देशों के बीच बढ़ता ट्रेड वॉर और आपसी संबंधों में आई कड़वाहट इस नीति के प्रत्यक्ष परिणाम रहे हैं। अमेरिका के भीतर भी इसके दुष्प्रभाव सामने आए हैं, जहां महंगाई बढ़ने से आम लोगों की जेब पर असर पड़ा है और कई अमेरिकी सांसदों ने इसे स्वीकार किया है।
इसी पृष्ठभूमि में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक टीवी चैनल के कॉन्क्लेव के दौरान स्पष्ट शब्दों में कहा कि आज वैश्विक व्यापार को टैरिफ और अन्य उपायों के जरिए एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, जो चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि अब यह पूरी तरह साफ हो चुका है कि वैश्विक व्यापार न तो पूरी तरह स्वतंत्र है और न ही निष्पक्ष, ऐसे में भारत को बेहद सोच-समझकर और रणनीतिक तरीके से आगे बढ़ना होगा।
सीतारमण ने जोर दिया कि केवल टैरिफ पर बातचीत करना काफी नहीं है, बल्कि देश की समग्र आर्थिक मजबूती ही भारत को वैश्विक मंच पर अतिरिक्त बढ़त दिला सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत पर अक्सर यह आरोप लगाया जाता है कि वह अंतर्मुखी है या टैरिफ किंग है, लेकिन सच्चाई यह है कि भारत ने कभी भी शुल्कों का इस्तेमाल हथियार के तौर पर नहीं किया। भारत ने केवल अपने घरेलू उद्योगों की रक्षा के लिए टैरिफ लगाए हैं, ताकि कोई बाहरी देश या कंपनी सस्ते या जरूरत से ज्यादा सामान की बाढ़ लाकर स्थानीय उद्योगों को नुकसान न पहुंचा सके।
वित्त मंत्री ने इस बात पर भी सवाल उठाया कि आज कुछ देश खुले तौर पर ऊंचे टैरिफ लगाने की घोषणा कर रहे हैं और इसे लेकर कोई बड़ी आपत्ति नहीं जताई जा रही, जबकि पहले ऐसे कदमों की आलोचना की जाती थी। उन्होंने इसे वैश्विक व्यापार का “नया सामान्य” करार दिया। उनके ये बयान इसलिए भी अहम माने जा रहे हैं क्योंकि अमेरिका समेत कई देशों की टैरिफ नीतियों से वैश्विक व्यापार प्रभावित हो रहा है।
ये भी पढ़ें: बड़े-बड़े दिग्गजों को पीछे छोड़ा! महज 22 की उम्र में अरबपति बने ये दो लड़के, अब हुरुन लिस्ट में नाम
हाल ही में मैक्सिको जैसे देशों ने भी उन राष्ट्रों पर ऊंचे शुल्क लगाने की घोषणा की है, जिनके साथ उनके मुक्त व्यापार समझौते नहीं हैं। ऐसे हालात में भारत की सतर्क और संतुलित व्यापार नीति उसकी आर्थिक स्थिरता और दीर्घकालिक हितों के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।