निर्मला सीतारमण, (वित्त मंत्री)
नई दिल्ली : न्यू इनकम टैक्स बिल 2025 में चुनावी बॉन्ड के शामिल होने से विशेषज्ञ हैरान रह गए हैं। इससे संबंधित प्रावधानों को अभी भी बरकरार रखा गया हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक करार दिया था। एक्सपर्ट्स ने ये कहा है कि ऐसा विधायी चूक या सरकार की इसे किसी दूसरे रुप में वापस लाने के इरादे के कारण हो सकता है।
इलेक्टोरल बॉन्ड का उल्लेख न्यू इनकम टैक्स एक्ट की अनुसूची 8 में किया गया है, जो ‘राजनीतिक दलों और चुनावी ट्रस्टों की कुल आय में शामिल नहीं की गई आय’ से संबंधित है। कोर्ट ने पिछले साल 15 फरवरी को पारित एक फैसले में केंद्र की गोपनीय राजनीतिक चंदे की चुनावी बॉन्ड योजना को कैंसल कर दिया था।
सरकार ने 64 साल पुराने इनकम टैक्स एक्ट की जगह न्यू इनकम टैक्स बिल पेश किया है। कुल 622 पन्नों का यह विधेयक मौजूदा कानून को सरल ढंग से पेश करता है। मौजूदा कानून कुछ सालों में 4,000 से ज्यादा संशोधनों के कारण जटिल हो गया है। न्यू इनकम टैक्स बिल में चुनावी बॉन्ड से संबंधित प्रावधानों के बारे में एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के सीनियर पार्टनर रजत मोहन ने कहा कि न्यू इनकम टैक्स बिल में इलेक्टोरल बॉन्ड के प्रावधानों का उल्लेख विधायी चूक के कारण हो सकता है या भविष्य में योजना के संशोधित संस्करण के लिए दरवाजा खुला रखने के लिए जानबूझकर उठाया गया कदम हो सकता है।
उन्होंने कहा है कि हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के पास इस योजना को कैंसल करने के लिए मजबूत और उचित बेस थे, लेकिन इसमें जिन चिंताओं का जिक्र किया गया है, उनका सोल्यूशन संवाद और विशेषज्ञों के साथ परामर्श से किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि सरकार के पास अब भी पॉलिटिकल डोनेशन की संशोधित व्यवस्था को फिर से पेश करने का विधायी अधिकार है, बशर्ते कि यह संवैधानिक सिद्धांतों के अनुरूप हो और चुनावी चंदे में ट्रांसपरेंसी सुनिश्चित करे। मोहन ने कहा कि यह संभव है कि भविष्य में पॉलिटिकल डोनेशन की व्यवस्था में सुधार की गुंजाइश बनाए रखने के लिए एक रणनीतिक फैसले के अंतर्गत नए बिल में इलेक्टोरल बॉन्ड का उल्लेख किया गया हो।
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शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी के भागीदार रोहित गर्ग ने कहा कि न्यू इनकम टैक्स बिल में किए गए बदलाव केवल संरचनात्मक प्रकृति के हैं। मूल प्रावधानों और शुल्क लगाने वाले अनुभागों में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है। हर प्रावधान जो चलन में नहीं था, उसे नए अधिनियम में आगे बढ़ाया गया है। भारतीय स्टेट बैंक यानी एसबीआई ने 2018 में योजना की शुरुआत के बाद से 30 किस्तों में 16,518 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड जारी किए हैं।
(एजेंसी इनपुट के साथ)