अश्विनी वैष्णव (फोटो- सोशल मीडिया)
नई दिल्ली : अमेरिका के टैरिफ पॉलिसी को लागू करने के बाद से दुनिया की कई बड़ी इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी भारत में मैन्युफैक्चरिंग की शुरूआत कर सकती है। चीन पर लगे टैरिफ से बचने के लिए कंपनियां भारत शिफ्ट हो सकती हैं। इसी सिलसिले में देश के इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने शनिवार को बड़ा बयान दिया है। जिसमें उन्होंने कहा है कि इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस बनाने वाली कंपनियों को सरकार की प्रोत्साहन योजना यानी पीआईएल स्कीम का फायदा उठाने के लिए डिजाइन टीम बनाने के साथ अपने काम में हाई क्वालिटी का लेवल प्राप्त करना होगा।
वैष्णव ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय इसे फॉर्मल क्राइटेरिया नहीं बनाएगा, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक स्पेयर पार्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग स्कीम यानी ईसीएमएस के लिए आवेदनों को मंजूरी देने से पहले इन कारकों पर गौर जरूर करेगा। साथ ही उन्होंने कहा है कि मैं इस स्कीम में हर एक पार्टनर से एक डिजायन टीम बनाने का अनुरोध करता हूं। हमने इसे मंजूरी के फॉर्मल क्राइटेरिया के रूप में शामिल नहीं किया है, लेकिन ये परमिशन के फॉर्मल क्राइटेरिया की तरह हो सकता है।
मंत्री ने ईसीएमएस के लिए गाइडलाइन पर एक पोर्टल पेश करते कहा है कि कुछ कंपनियों ने 5,000 इंजीनियरों की डिजायन टीम बनाई हैं। वैष्णव ने कहा है कि यदि आपके पास डिजायन टीम नहीं है और भले ही आप अपने सभी क्राइटेरिया को पूरा कर रहे हों, तो हम आपको मंजूरी नहीं देंगे। मंजूरी हासिल करने के लिए डिजायन टीम का गठन करना ही होगा।
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उन्होंने मैन्युफैक्चरर्स से अपने प्रोडक्ट्स में हाई क्वालिटी हासिल करने के लिए भी कहा। वैष्णव ने कहा है कि मैं यह भी कहूंगा कि कृपया अपने हर काम में ‘सिक्स सिग्मा’ क्वालिटी हासिल करें। सिक्स सिग्मा से कम कुछ भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हम न सिर्फ मैन्युफैक्चरिंग मात्रा पर, बल्कि उत्पादित वस्तुओं की क्वालिटी को लेकर भी आपकी प्रगति का वैल्यूएशन करेंगे।‘सिक्स सिग्मा’ से आशय क्वालिटी का एक ऐसा लेवल हासिल करना है जो उपयुक्त हो। इसे कमियों को कम कर, विभिन्नता को दूर कर और क्वालिटी और एफीशिऐंसी बढ़ाकर हासिल किया जा सकता है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)