प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली: आम बजट में तिलहन उत्पादन की निराशाजनक स्थिति पर सरकार द्वारा चिंता जताने और चीजों को बदलने के प्रयासों की घोषणा के बावजूद देश के तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह बिनौला तेल को छोड़कर बाकी सभी तेल-तिलहनों के भाव गिरावट दर्शाते बंद हुए। बाजार सूत्रों ने कहा कि बीते सप्ताह सरसों की नई फसल की आवक के बीच इसकी कीमतों पर दबाव है जो सरसों तेल-तिलहन में गिरावट आने का मुख्य कारण है। हालांकि, अनुमानत: मार्च के अंत तक अगले साल की सरसों फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ाने की घोषणा की उम्मीद की जा रही है और किसान सचेत होकर अपनी फसल बेच रहे हैं। उन्होंने कहा कि सोयाबीन के डी-आयल्ड केक (डीओसी) की मांग प्रभावित रहने से सोयाबीन तेल-तिलहन के दाम भी गिरावट के साथ बंद हुए।
बिनौला खल का दाम तोड़े जाने और भारतीय कपास निगम (CCI) द्वारा पहले न्यूनतम समर्थन मूल्य की खरीद लागत से कम दाम पर बिनौला सीड की बिकवाली करने से बाकी सभी देशी खल और डीओसी पर दबाव है। बिनौला सीड का दाम टूटने से पूरी कारोबारी धारणा प्रभावित हुई है। उन्होंने कहा कि फिलहाल इंपोर्टेड खाद्य तेलों में सबसे सस्ता सोयाबीन तेल है। धन की कमी से जूझ रहे आयातक इसे आयात लागत से भी कम औने-पौने दाम पर बेच रहे हैं।
ऊंचा भाव होने की वजह से पाम, पामोलीन का कारोबार कमजोर है। दाम ऊंचा रहने से सूरजमुखी तेल का भी कम आयात हो रहा है। पाम, पामोलीन का भाव इतना ऊंचा है कि इसके आगे सरसों तेल का दाम भी पाम, पामोलीन से नीचे हो गया है। खाद्य तेलों की इस कमी को सबसे सस्ते सोयाबीन तेल द्वारा पूरा करना मुश्किल होगा। उन्होंने कहा कि फसल आने से पहले सितंबर, 2024 में वायदा कारोबार में बिनौला खल के सितंबर अनुबंध का भाव 3,800 रुपये क्विंटल था। फसल आने के बाद मौजूदा समय में बिनौला खल के फरवरी अनुबंध का भाव घटकर 2,670 रुपये क्विंटल रह गया है, जो वायदा कारोबार के दुरुपयोग के बगैर संभव नहीं है।
सूत्रों ने कहा कि मूंगफली की स्थिति भी चिंताजनक है। इसके खल के दाम टूटे पड़े हैं। किसान एमएसपी से काफी कम दाम पर मूंगफली बेचने को मजबूर हैं। सूत्रों ने कहा कि मूंगफली का एमएसपी 6,860 रुपये क्विंटल है और मिलावटी बिनौला खल का कारोबार बढ़ने के बीच बाजार की कारोबारी धारणा बिगड़ने से मूंगफली का हाजिर भाव 5,000-5,300 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है। यह स्थिति मूंगफली उत्पादन को प्रभावित करेगी। कारोबारी धारणा प्रभावित रहने और लिवाल की कमी के कारण मूंगफली तेल-तिलहन के दाम समीक्षाधीन सप्ताह में गिरावट दर्शाते बंद हुए। उन्होंने कहा कि बीते सप्ताह आयात शुल्क मूल्य घटाये जाने के बावजूद पाम, पामोलीन तेल के लिवाल नहीं हैं। वैसे भी इन तेलों की मांग जाड़े में कम ही रहती है। इस स्थिति के कारण बीते सप्ताह पाम, पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट देखने को मिली। सूत्रों ने कहा कि बिनौला खल का दाम टूटने के बीच इस हानि को तेल के दाम बढ़ाकर पूरा करने के कारण अकेले बिनौला तेल के दाम में सुधार दिखा।
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हालांकि, खल के दाम टूटने से हुए नुकसान को बिनौला तेल का दाम बढ़ाकर भी पूरा नहीं किया जा सकता। बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 175 रुपये गिरावट के साथ 6,050-6,150 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का थोक भाव 100 रुपये की गिरावट के साथ 13,050 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 10-10 रुपये के हानि के साथ क्रमश: 2,240-2,340 रुपये और 2,240-2,365 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।