अनिल अंबानी, (फाइल फोटो)
Anil Ambani Fraud Case: देश के अरबपति और रिलायंस ग्रुप के चेयरपर्सन अनिल अंबानी की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है। अब केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शनिवार अंबानी की कंपनियों से जुड़े 3000 करोड़ रुपये के कथित वित्तीय धोखाधड़ी मामले में पहली गिरफ्तारी की है। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ओडिशा की भुवनेश्वर की कंपनी बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड (BTPL) के मैनेजिंग डायरेक्टर पार्थ सारथी बिस्वाल को मनी लॉन्ड्रिंग प्रिवेंशन एक्ट (PMLA), 2002 के तहत हिरासत में लिया गया है।
प्रवर्तन निदेशालय की जांच में पता चला है कि बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड ने अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस पावर लिमिटेड से 5.4 करोड़ रुपये प्राप्त किए थे। यह पैसे कथित रूप से एक फेक बैंक गारंटी देने के लिए ली गई थी। अधिकारियों का कहना है कि यह पैसा BTPL की धोखाधड़ी गतिविधियों को अंबानी के कारोबारी नेटवर्क से जोड़ने का अहम सबूत है।
इससे पहले कल यानी की शुक्रवार को ईडी की मांग पर अनिल अंबानी के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी हुआ है। अब वह कोर्ट की इजाजत के बिना भारत से बाहर यात्रा नहीं कर सकेंगे। यह कदम उनकी कंपनी पर धोखाधड़ी के आरोपों और एक संघीय एजेंसी द्वारा जारी समन के बाद उठाया गया है। इससे पहले प्रवर्तन एजेंसी ने कथित बैंक लोन धोखाधड़ी से जुड़े एक धन शोधन मामले में रिलायंस समूह के अध्यक्ष अनिल अंबानी को 5 अगस्त को पूछताछ के लिए तलब किया था। कथित तौर पर करोड़ों रुपये की यह धोखाधड़ी अंबानी की समूह कंपनियों से जुड़ी है।
सूत्र ने आगे बताया कि अनिल अंबानी को दिल्ली स्थित ईडी मुख्यालय में पेश होने के लिए कहा गया है, जहां मामला दर्ज किया गया है। सूत्र ने बताया कि उनके बयान दर्ज होने के बाद एजेंसी धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत उनका बयान दर्ज करेगी। सूत्र ने आगे कहा कि अगले कुछ दिनों में उनके समूह की कंपनियों के कुछ अधिकारियों को भी तलब किया गया है।
हालांकि, शुक्रवार को जारी एक बयान में रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने स्पष्ट किया कि कंपनी आज की मीडिया रिपोर्टों के बारे में स्पष्टीकरण देना चाहती है, जिसमें 10 साल से भी ज़्यादा पुराने एक मामले के बारे में बताया गया है। जिसमें कथित तौर पर 10,000 करोड़ रुपये एक अज्ञात संबंधित पक्ष को हस्तांतरित किए जाने की बात कही गई है, जबकि कंपनी के वित्तीय विवरणों के अनुसार, यह राशि केवल लगभग 6,500 करोड़ रुपये है।
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कंपनी ने बयान में यह भी बताया गया कि रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने लगभग छह महीने पहले, 9 फ़रवरी, 2025 को इस मामले का सार्वजनिक रूप से खुलासा किया था। यह समन प्रवर्तन एजेंसी द्वारा पिछले हफ़्ते उनके व्यावसायिक समूह के अधिकारियों सहित 50 कंपनियों और 25 व्यक्तियों के 35 परिसरों की तलाशी लेने के बाद आया है। 24 जुलाई को शुरू हुई यह कार्रवाई तीन दिनों तक चली।