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FDI के जरिए चीन से दोस्ती बढ़ाएगी मोदी सरकार, आर्थिक सर्वेक्षण में दिखे संकेत

चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रवाह बढ़ने से भारत की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भागीदारी और निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है। संसद में सोमवार को पेश आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि भारत वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं (जीवीसी) में अपनी भागीदारी को बढ़ाना चाहता है।

  • By शुभम पाठक
Updated On: Jul 22, 2024 | 03:29 PM

एफडीआई इंडिया (सोर्स:-सोशल मीडिया)

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नई दिल्ली: आज बजट सत्र के पहले दिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा के बाद राज्यसभा में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। जो कि लगातार रूप से चर्चा का विषय बना रहा। लेकिन कुछ बातें ऐसी थी जिसपर मुख्य रूप से जोड़ दिया गया। जिसमें सबसे ज्यादा ध्यान केंद्रीत करने वाला भाग रहा कि आर्थिक सर्वेक्षण में विदेशी निवेश को मिली प्राथमिकता। क्योंकि कही ना कही इसका इशारा चीन से था तो सवाल ये बनता है कि क्या इस साल के आर्थिक सर्वेक्षण को देखते हुए भारत सरकार चीन के साथ अपनी भागेदारी बढ़ाने का सोच रही है।

चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रवाह बढ़ने से भारत की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भागीदारी और निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है। संसद में सोमवार को पेश आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि भारत वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं (जीवीसी) में अपनी भागीदारी को बढ़ाना चाहता है। इसलिए उसे पूर्वी एशिया की अर्थव्यवस्थाओं की सफलताओं तथा रणनीतियों पर भी ध्यान देने की जरूरत है।

आर्थिक सर्वेक्षण में दिखे संकेत

लोकसभा और राज्यसभा में पेश हुए आर्थिक सर्वेक्षण में कई ऐसे संकेत दिखे जो कि ये दर्शाता है कि प्रधानमंत्री मोदी FDI के जरिए चीन से दोस्ती बढ़ाने के प्रयास में लगे हुए है। इन अर्थव्यवस्थाओं ने आमतौर पर दो मुख्य रणनीतियों का अनुसरण किया है। व्यापार लागत को कम करना और विदेशी निवेश को सुगम बनाना। इसमें कहा गया कि भारत के पास चीन प्लस वन रणनीति से लाभ उठाने के लिए दो विकल्प हैं.. या तो वह चीन की आपूर्ति श्रृंखला में शामिल हो जाए या फिर चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा दे।

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चीन से दोस्ती की बातें

जानकारी के लिए बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश आर्थिक समीक्षा 2023-24 में कहा गया है। इन विकल्पों में से चीन से एफडीआई पर ध्यान केंद्रित करना अमेरिका को भारत के निर्यात को बढ़ाने के लिए अधिक आशाजनक प्रतीत होता है, जैसा कि पूर्व में पूर्वी एशियाई अर्थव्यवस्थाओं ने किया था। इसके अलावा चीन प्लस वन’ दृष्टिकोण से लाभ प्राप्त करने के लिए एफडीआई को एक रणनीति के रूप में चुनना, व्यापार पर निर्भर रहने की तुलना में अधिक लाभप्रद प्रतीत होता है।

एक नजर चीन के व्यपार से भारत के फायदे पर

चलिए अब आपको अब पूरी बात समझाते है। आर्थिक सर्वेक्षण में भारत और चीन की बातों के साफ मतलब की करें तो ऐसा इसलिए है क्योंकि चीन भारत का शीर्ष आयात भागीदार है और चीन के साथ व्यापार घाटा बढ़ रहा है। चूंकि अमेरिका तथा यूरोप अपनी तत्काल आपूर्ति चीन से हटा रहे हैं। इसलिए चीनी कंपनियों द्वारा भारत में निवेश करना और फिर इन बाजारों में उत्पादों का निर्यात करना अधिक प्रभावी है, बजाय इसके कि वे चीन से आयात करें।

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वहीं न्यूनतम मूल्य जोड़ें और फिर उन्हें पुनः निर्यात करें। इसमें बताया गया कि चीन से एफडीआई प्रवाह में वृद्धि से निर्यात को बढ़ावा देने के साथ-साथ भारत की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भागीदारी बढ़ाने में मदद मिल सकती है। किसी भी क्षेत्र में वर्तमान में चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए सरकार की मंजूरी की जरूरत होती है। भारत में अप्रैल, 2000 से मार्च, 2024 के दौरान कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश इक्विटी प्रवाह में चीन केवल 0.37 प्रतिशत (2.5 अरब अमेरिकी डॉलर) हिस्सेदारी के साथ 22वें स्थान पर था।

Modi government will increase friendship with china through fdi indications seen in economic survey

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Published On: Jul 22, 2024 | 02:46 PM

Topics:  

  • Budget 2024
  • Nirmala Sitharaman

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