प्रतीकात्मक तस्वीर
Income Tax Fraud: इनकम टैक्स में हेराफेरी करने वालों की मुश्किलें और बढ़ने वाली है। दरअसल, आयकर विभाग अब डेटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद लेने जा रहा है। इससे आय की गलत जानकारी देने या छिपाने वालों की आसानी से पहचान किया जा सकेगा। नए इनकम टैक्स कानून में इस व्यवस्था को जोड़ा गया है। इससे जुड़ा हुआ विधेयक संसद के मानसून सत्र में ही पास होने वाला है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड(CBDT) के चेयरमैन रवि अग्रवाल ने एक इंटरव्यू के दौरान यह जानकारी दी है।
सीबीडीटी के चेयरमैन ने बताया कि आयकर विभाग के पास कुल 6.5 अरब डॉल र से ज्यादा डिजिटल लेनदेन की जानकारी है। इसके साथ ही विदेशों से भी जानकारी मिल रही है। इससे टैक्स में हेराफेरी को पकड़ना और उसको रोकना काफी आसाना हो जाएगा।
रवि अग्रवाल ने डिजिटल रिकॉर्ड तक आयकर विभाग के अधिकारियों की पहुंच को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि यह अधिकार केवल और केवल तलाशी और जब्ती के मामलों तक ही सीमित है। ऐसा तब होता है जब कोई भी टैक्सपेयर अपने आय की सही जानकारी छुपाता है या देने से इनकार करता है। इस सुविधा का मकसद आम लोगों पर जासूसी करना नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि एआई का अगल वर्जन और भी तेज होगा। रिपोर्टिंग एजेंसिया और भी बेहतर और स्टीक आंकड़े देंगी। जिसके मदद से टैक्स चोरी को पहचानना और उनके खिलाफ एक्शन लेने में आसानी होगी।
आयकर विभाग टैक्सपेयर्स को उनके फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन की जानकारी साझा कर रहा है। इसके कारण लोग खुद टैक्स भरने के लिए आगे आ रहे हैं। इस नई सुविधा के शुरू होने के बाद से 11 मिलियन अपडेटेड आईटीआर फाइल किए गए हैं। इसमें 11 हजार रुपये से अधिक का अतिरिक्त टैक्स मिला है। यह सुविधा 1 अप्रैल, 2022 से शुरू हुई है।
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हाल ही में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा एक अभियान चलाया गया था। इसके चलते 963 करोड़ रुपये के टैक्स छूट के दावे वापस लिए गए थे। साथ ही, 1 अप्रैल 2023 से 18 जून 2025 के बीच 409.50 करोड़ का अतिरिक्त टैक्स जमा किया गया। नवंबर 2024 से 31 मार्च, 2025 के बीच 30,161 टैक्सपेयर्स ने 29,208 करोड़ रुपये की विदेशी संपत्ति और 1,089 करोड़ रुपये की विदेशी इनकम घोषित की। अग्रवाल ने कहा कि यह सब डेटा एनालिसिस का नतीजा था कि हम पूरे भारत में एक साथ कार्रवाई कर पाए।