राहुल गांधी व तेजस्वी यादव (डिजाइन फोटो)
Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सूबे का सियासी माहौल गरमा रहा है। महागठबंधन के वरिष्ठ नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी “वोट चोरी” का मुद्दा ज़ोर-शोर से उठा रहे हैं। वह विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को संस्थागत वोट चोरी का एक तरीका बता रहे हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या इस मुद्दे पर इतनी आक्रामक राजनीति कांग्रेस और उसके सहयोगियों को फ़ायदा पहुंचाएगी, या इसका उल्टा असर भी हो सकता है?
राहुल गांधी ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि कर्नाटक की एक विधानसभा सीट से अवैध रूप से वोट काटकर महाराष्ट्र की एक अन्य सीट पर धोखाधड़ी से वोट डाले गए। उन्होंने दावा किया कि उनके पास “हाइड्रोजन बम” जैसे पुख्ता सबूत हैं, जिन्हें वह जल्द ही सार्वजनिक करेंगे। इससे “एटम बम” गिराने की बात कहकर ‘वोट चोरी’ पर पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी।
राहुल गांधी लगातार भाजपा और चुनाव आयोग पर हमला बोल रहे हैं। उनका दावा है कि मतदाता सूचियों में हेराफेरी करके चुनाव परिणामों को प्रभावित किया जा रहा है। हालांकि, उन्होंने अभी तक चुनाव आयोग में औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई है। इस रणनीति को लेकर महागठबंधन के भीतर बेचैनी साफ दिखाई दे रही है।
आरजेडी सूत्रों के अनुसार, तेजस्वी यादव बेरोज़गारी, पलायन, अपराध, बदहाल सरकारी सेवाओं और पेपर लीक जैसे सीधे मुद्दों पर आक्रामक प्रचार कर रहे हैं। इसके विपरीत, राहुल गांधी बार-बार सिर्फ़ “वोट चोरी” की बात कर रहे हैं। इससे एकतरफा संदेश जा रहा है और जनता की वास्तविक चिंताओं पर ध्यान कम हो रहा है।
कांग्रेस के कुछ नेताओं को डर है कि यह आक्रामक रुख़ न केवल चुनावी रणनीति को नुकसान पहुंचा सकता है, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठा सकता है। इसलिए, राहुल गांधी को वोट चोरी के अलावा बिहार के ज़मीनी मुद्दों पर भी ध्यान देना चाहिए।
राहुल गांधी ने हाल ही में मतदाता अधिकार यात्रा के दौरान 16 दिनों तक पदयात्रा की और हर सभा में वोट चोरी का मुद्दा उठाया। लेकिन ज़मीनी स्तर पर इसका कितना असर हुआ है? वोट वाइब के बिहार चुनाव 2025 सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य में केवल 21% लोग एसआईआर प्रक्रिया और वोट चोरी को प्रमुख चुनावी मुद्दे मानते हैं। इसके विपरीत, 32% लोग बेरोज़गारी को सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा मानते हैं।
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि राहुल गांधी अपनी सारी ऊर्जा “वोट चोरी” पर केंद्रित कर रहे हैं। अगर यह मुद्दा जनता के बीच नहीं पहुंचता, तो महागठबंधन को इसके परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। वहीं, यह एनडीए को फायदा पहुंचा सकता है।
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फिलहाल अब देखना दिलचस्प होगा कि राहुल गांधी जिस “हाइड्रोजन बम” की बात कर रहे हैं उसे कब फोड़ते हैं। इसके साथ ही यह सत्तारूढ़ दल को वाकई झटका देता है या फिर कांग्रेस और महागठबंधन के के लिए बड़ा झटका साबित होता है।