प्रशांत किशोर का भारत पाक युद्ध में सीजफायर को लेकर सरकार पर हमला
पटना: भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध के तीसरे दिन सीजफायर के ऐलान के बाद से विपक्षी दलों की ओर से लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं। कांग्रेस पूरे मामले को लेकर संसद सत्र बुलाने की मांग कर रही है और अन्य दल सरकार से युद्द रोकने पर सहमति को लेकर सवाल कर रही है। जनसुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर कह रहे हैं कि पूरा देश सरकार के साथ था और भारतीय सेना पाकिस्तान पर कहर बरपा रही थी। पड़ोसी मुल्क को सबक सिखाकर उसकी कमर तोड़ने का अच्छा मौका था तो सरकार सीजफायर के लिए क्यों राजी हो गई।
प्रशांत किशोर ने भारत और पाकिस्तान युद्ध के दौरान सीजफायर को लेकर सहमति जताने को लेकर सरकार को घेरा है। उन्होंने सवाल उठाया है कि जब पाकिस्तान युद्ध से पीछे हट रहा था तो हमने सीजफायर क्यों मान लिया। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने खुद कहा था कि सीजफायर की मांग पाकिस्तान कर रहा था तो हमें युद्ध कुछ दिन और चलाना चाहिए था।
प्रशांत किशोर ने कहा कि जब पाकिस्तान हार रहा था और युद्ध से खुद ही पीछे हट रहा था, जैसा कि बताया जा रहा है, तो सरकार को सीजफायर के लिए राजी होने की क्या जरूरत थी। सीजफायर के लिए पहल पाकिस्तान कर रहा था मतलब वह हार रहा था, अगर ऐसा था तो युद्ध दो-तीन दिन और चलने देते तो पड़ोसी मुल्क की कमर टूट जाती। सीजफायर करने की अपनी तरफ से क्या जल्दी पड़ी थी। सरकार को इस सवाल का जवाब देना चाहिए।
प्रशांत किशोर ने कहा कि हम सीजफायर को लेकर ट्रंप की ओर से घोषणा पर कुछ नहीं कह रहे, हम तो अपने विदेश मंत्री की बात पर भरोसा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सीजफायर चाह रहा था। विदेश मंत्री एस जयशंकर की बात पर हम कहना चाहेंगे कि जब सीजफायर के लिए पहल पाकिस्तान की तरफ से थी तो हमें उन्हें इतनी जल्दी राहत देने की क्या जरूरत थी।
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जनसुराज पार्टी के नेता ने यह भी कहा कि जिन आतंकियों ने पहलगाम में हमला कर हमारी बहनों का सिंदूर उजाड़ा उन आतंकियों और आतंक के सरपरस्तों से बदला लेने का मौका हमने गंवा दिया। जब युद्ध में दुश्मन को पूरी तरह से बर्बाद करने का मौका था तो सीजफायर कर दिया गया और अब घर-घर सिंदूर बांटने का क्या मतलब रह जाता है।