प्रशांत किशोर, (फाइल फोटो)
Bihar Assembly Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव का सियासी मिजाज हर पल बदल रहा है, जहां चुनावी रणनीतिकार से सियासी पिच पर उतरे जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर को बड़ा झटका लगा है। 3 साल से जमीनी स्तर पर मशक्कत और सूबे की पदयात्रा कर चुनाव की तैयारी करने वाले जन सुराज ने सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन नामांकन प्रक्रिया के बाद उनके तीन योद्धाओं ने चुनावी मैदान छोड़ दिया है। इस तरह, जन सुराज अब 240 सीट पर ही चुनाव लड़ रही है।
तीन उम्मीदवारों का चुनाव मैदान से बाहर होना प्रशांत किशोर के लिए एक बड़ा सियासी झटका माना जा रहा है। प्रशांत किशोर खुद पहले ही चुनाव लड़ने से इनकार कर चुके हैं और अब उनके उम्मीदवारों के इस तरह पीछे हटने के बाद उनकी रणनीति पर कशमकश की स्थिति बन गई है।
नामांकन वापस लेने वाले उम्मीदवार
1. अखिलेश कुमार उर्फ मूतूर शाह: दानापुर सीट से नामांकन दाखिल नहीं कर सके।
2. डॉ. शशि शेखर सिन्हा: गोपालगंज सीट से नामांकन दाखिल करने के बाद अपना नाम वापस ले लिया।
3. डॉ. सत्य प्रकाश तिवारी: ब्रह्मपुर सीट के उम्मीदवार ने तीन दिन तक प्रचार करने के बाद अपना नामांकन वापस ले लिया।
जन सुराज के उम्मीदवारों के मैदान छोड़ने पर प्रशांत किशोर ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बिहार की राजनीति को लेकर अपनी बात रखी और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर अत्यंत गंभीर आरोप लगाए। प्रशांत किशोर ने दावा किया कि उनके तीन उम्मीदवारों के नामांकन वापसी के पीछे एनडीए (NDA), ख़ासकर बीजेपी का हाथ है। उन्होंने तीखे शब्दों में कहा कि लालू राज में बूथ लूटे जाते थे, लेकिन बीजेपी राज में उम्मीदवार किडनैप कर लिए जा रहे हैं।
उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय शिक्षा मंत्री और बिहार के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान पर उनके उम्मीदवारों को नामांकन वापस लेने के लिए धमकाने और दबाव बनाने का सीधा आरोप लगाया।
प्रशांत किशोर ने दानापुर के उम्मीदवार मूतूर शाह का उदाहरण देते हुए एक फोटो भी दिखाई। उन्होंने कहा कि बीजेपी के लोग यह बता रहे थे कि मूतूर शाह को राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के गुंडों ने बंधक बना लिया है, जबकि असल में वह पूरा दिन अमित शाह और धर्मेंद्र प्रधान जैसे बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के साथ थे। पीके ने कहा कि कि यह उम्मीदवार किडनैप करना नहीं तो क्या है? एक गृह मंत्री किसी उम्मीदवार को नामांकन करने से रोकने के लिए उसे अपने साथ कैसे रख सकते हैं?” उन्होंने चुनाव आयोग से इस पर ध्यान देने की मांग की।
इसी तरह, ब्रह्मपुर सीट से नामांकन वापस लेने वाले डॉ. सत्य प्रकाश तिवारी को लेकर प्रशांत किशोर ने एक और फोटो जारी की, जिसमें तिवारी धर्मेंद्र प्रधान के साथ उनके घर पर दिख रहे हैं। पीके ने इसे दबाव का साफ प्रमाण बताया और कहा कि चुनाव घोषणा के बाद एक केंद्रीय मंत्री का विपक्षी उम्मीदवार से मिलना अभूतपूर्व है। पीके ने दावा किया कि तिवारी ने उन्हें फोन पर दबाव डाले जाने की शिकायत की थी, लेकिन दो घंटे बाद ही उनका फोन बंद हो गया और स्थानीय भाजपा नेताओं ने उन्हें अपने कब्जे में ले लिया था।
प्रशांत किशोर ने साफ-साफ शब्दों में कहा कि जन सुराज ने सभी 243 सीटों पर उतरने का निर्णय किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि जन सुराज के तीन उम्मीदवारों पर एनडीए ने चुनावी मैदान छोड़ने का दबाव बनाया, जिनमें से दो उम्मीदवारों पर बीजेपी ने और एक सीट पर जेडीयू ने प्रेशर बनाने का काम किया। पीके ने आरोप लगाया कि बीजेपी और जेडीयू ने साम, दाम, दंड, भेद का दांव चलकर जन सुराज के तीन उम्मीदवारों को चुनावी मैदान से बाहर कर दिया है। उन्होंने इसे जन सुराज को कमजोर करने की साजिश बताया, लेकिन ज़ोर देकर कहा कि अभी भी 240 सीट पर जन सुराज के उम्मीदवार मैदान में हैं।
ये भी पढ़ें: बिहार महागठबंधन में सब ठीक नहीं! कई सीटों पर फ्रेंडली फाइट; अब कैंपेन और घोषणा पत्र पर भी भिड़ंत
प्रशांत किशोर ने कहा कि वह खुद चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन पार्टी के लिए संगठनात्मक कार्य और प्रचार की कमान संभालेंगे। वह बिहार चुनाव में पूरी मैनेजमेंट के साथ उतरे हैं ताकि एनडीए और महागठबंधन का एक मज़बूत विकल्प बन सकें और उन्हीं मुद्दों को उठा रहे हैं जो जनता के मन में अपनी छाप छोड़ सकें। उन्होंने जनता को याद दिलाया कि उन्होंने तीसरा विकल्प पेश कर दिया है और अगर जनता उन्हें नहीं चुनती है तो पांच साल फिर रोना पड़ेगा।