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Prashant Kishor: रणनीतिकार के सामने राजनैतिक चुनौती, क्या बिहार में इंपैक्ट डाल पाएंगे प्रशांत?

Bihar Assembly Elections: प्रशांत किशोर का नाम आज भारतीय राजनीति में एक ऐसे व्यक्ति के रूप में लिया जाता है, जिसने चुनावी रणनीति को एक विज्ञान और कला दोनों के रूप में स्थापित किया है।

  • By अभिषेक सिंह
Updated On: Oct 08, 2025 | 07:45 PM

जनसुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर (डिजाइन फोटो)

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Prashant Kishor Profile: प्रशांत किशोर का नाम आज भारतीय राजनीति में एक ऐसे व्यक्ति के रूप में लिया जाता है, जिसने चुनावी रणनीति को एक विज्ञान और कला दोनों के रूप में स्थापित किया। एक समय में संयुक्त राष्ट्र के पब्लिक हेल्थ विशेषज्ञ रहे किशोर ने देश के कई बड़े नेताओं और दलों को सत्ता दिलाने में अहम भूमिका निभाई। लेकिन अब वे खुद एक राजनेता के रूप में बिहार की राजनीति में उतर चुके हैं और जन सुराज नामक आंदोलन के माध्यम से एक वैकल्पिक राजनीतिक मॉडल प्रस्तुत कर रहे हैं।

शुरुआती जीवन और शिक्षा

प्रशांत किशोर का जन्म 1977 में बिहार के रोहतास जिले के कोनार गांव में हुआ। उनके पिता श्रीकांत पांडेय एक डॉक्टर थे, जिनकी पोस्टिंग बाद में बक्सर में हुई। किशोर की प्रारंभिक शिक्षा बक्सर में ही हुई। गणित में उनकी गहरी रुचि थी, लेकिन पारंपरिक इंजीनियरिंग की राह उन्हें आकर्षित नहीं कर सकी। उन्होंने पटना साइंस कॉलेज से पढ़ाई शुरू की, फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज में सांख्यिकी विषय लिया। स्वास्थ्य कारणों से ग्रेजुएशन अधूरी रह गई, लेकिन बाद में उन्होंने लखनऊ और हैदराबाद से अपनी शिक्षा पूरी की और पब्लिक हेल्थ में पोस्ट ग्रेजुएशन किया।

संयुक्त राष्ट्र से राजनीति तक

प्रशांत किशोर ने संयुक्त राष्ट्र के साथ पब्लिक हेल्थ विशेषज्ञ के रूप में काम किया। उनकी पहली पोस्टिंग आंध्र प्रदेश में हुई, फिर बिहार और बाद में अफ्रीका के कई देशों में उन्होंने सेवाएं दीं। इसी दौरान उन्होंने भारत के कुछ राज्यों में कुपोषण पर आधारित एक रिसर्च पेपर तैयार किया, जिसमें गुजरात का भी उल्लेख था। कहा जाता है कि इसी रिपोर्ट के माध्यम से उनकी मुलाकात तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई, जिसने उनके जीवन की दिशा बदल दी।

चुनावी रणनीतिकार के रूप में उभार

2011 में किशोर ने अपनी संयुक्त राष्ट्र की नौकरी छोड़ दी और नरेंद्र मोदी के लिए ब्रांड मैनेजर के रूप में काम शुरू किया। उन्होंने इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (I-PAC) की स्थापना की, जो राजनीतिक दलों को चुनावी रणनीति, ब्रांडिंग और प्रचार सेवाएं प्रदान करता है। 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव और 2014 के लोकसभा चुनाव में किशोर की रणनीति ने भाजपा को ऐतिहासिक जीत दिलाई। ‘चाय पर चर्चा’, 3D रैलियां, ‘रन फॉर यूनिटी’ और सोशल मीडिया अभियानों ने उन्हें एक मास्टर स्ट्रैटेजिस्ट के रूप में स्थापित किया।

विभिन्न दलों को दिलायी सत्ता

प्रशांत किशोर ने भाजपा के बाद कांग्रेस, जदयू, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, वाईएसआर कांग्रेस और डीएमके जैसे दलों के साथ काम किया। उन्होंने नीतीश कुमार के साथ जदयू के लिए काम किया जब नीतीश भाजपा से अलग होकर राजद के साथ गए थे। पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह, दिल्ली में अरविंद केजरीवाल, आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी और पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की जीत में किशोर की रणनीति ने निर्णायक भूमिका निभाई। हालांकि, 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए काम करना उनके करियर का एकमात्र असफल अध्याय रहा, जब पार्टी केवल 7 सीटें जीत सकी।

प्रशांत किशोर (सोर्स- सोशल मीडिया)

रणनीतिकार की पारी खत्म

2021 में पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु विधानसभा चुनावों में सफलता के बाद किशोर ने चुनावी रणनीति से विराम लेने की घोषणा की। 2 मई 2021 को एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, “मैं जो कर रहा हूं उसे जारी नहीं रखना चाहता। मैंने काफी कुछ कर लिया है। मेरे लिए एक ब्रेक लेने और जीवन में कुछ और करने का समय है।”

सफल होगा जनसुराज का प्रयोग?

राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रशांत किशोर ने बिहार में जन सुराज नामक आंदोलन की शुरुआत की। उन्होंने राज्य के विभिन्न हिस्सों में पदयात्रा की और जनता से सीधे संवाद स्थापित किया। जन सुराज का उद्देश्य बिहार में एक पारदर्शी, जवाबदेह और विकासोन्मुखी राजनीतिक व्यवस्था स्थापित करना है।

सभी सीटों पर लड़ेंगे चुनाव

जन सुराज को उन्होंने एक राजनीतिक दल का रूप दे दिया है और 2025 के विधानसभा चुनाव में सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। उन्होंने यह भी कहा है कि इनमें से 40 सीटों पर महिला उम्मीदवारों को उतारा जाएगा, जिससे महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा।

कैसी है पीके की राजनीति?

प्रशांत किशोर की राजनीति पारंपरिक दलों से अलग है। वे न तो जातीय समीकरणों पर आधारित राजनीति करते हैं, न ही वंशवाद पर। उनका फोकस नीति आधारित राजनीति पर है, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और प्रशासनिक सुधार जैसे मुद्दे प्रमुख हैं। जन सुराज के माध्यम से वे बिहार की राजनीति में एक वैकल्पिक मॉडल प्रस्तुत कर रहे हैं, जो जनता की भागीदारी और जवाबदेही पर आधारित है।

जनता के मध्य प्रशांत किशोर (सोर्स- सोशल मीडिया)

उनकी रणनीति का विश्लेषण यह दर्शाता है कि वे जमीनी स्तर पर संगठन निर्माण में विश्वास रखते हैं। पदयात्रा के माध्यम से उन्होंने न केवल जनसंवाद स्थापित किया, बल्कि कार्यकर्ताओं का एक मजबूत नेटवर्क भी तैयार किया। यह मॉडल गांधीवादी शैली की राजनीति की याद दिलाता है, जिसमें जनसंपर्क और नैतिक नेतृत्व की भूमिका अहम होती है।

निजी जीवन और सोशल इमेज

प्रशांत किशोर का पारिवारिक जीवन भी सादगीपूर्ण है। उनकी पत्नी जाह्नवी दास डॉक्टर हैं और असम में कार्यरत रही हैं। उनका एक बेटा है। किशोर की सामाजिक छवि एक गंभीर, विचारशील और दूरदर्शी नेता की है, जो राजनीति को सेवा का माध्यम मानते हैं।

कैसा होगा पीके का भविष्य?

2025 के बिहार विधानसभा चुनाव प्रशांत किशोर के लिए एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकते हैं। यदि जन सुराज अपेक्षित जनसमर्थन प्राप्त करता है, तो यह बिहार की राजनीति में एक नई धारा की शुरुआत होगी। हालांकि, उन्हें पारंपरिक दलों की जमीनी पकड़, जातीय समीकरण और संसाधनों की चुनौती का सामना करना पड़ेगा।

यह भी पढ़ें: Tej Pratap Yadav: विवादों में ‘तेज’ और पिता की विरासत से बेदखल, नई जमीन की तलाश में होंगे कामयाब?

उनकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि वे जन सुराज को एक संगठित, विचारधारा-आधारित और जनविश्वास से परिपूर्ण राजनीतिक विकल्प बना पाते हैं या नहीं। यदि वे इसमें सफल होते हैं, तो प्रशांत किशोर न केवल बिहार बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी एक प्रभावशाली नेता के रूप में उभर सकते हैं।

Prashant kishor profile jan suraaj candidate bihar election

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Published On: Oct 08, 2025 | 07:45 PM

Topics:  

  • Bihar Assembly Election 2025
  • Bihar Politics
  • Prashant Kishor

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