लालू यादव व तेजस्वी यादव (सोर्स- सोशल मीडिया)
Bihar Assembly Elections: पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) कथित तौर पर बिहार में विपक्षी दलों के महागठबंधन में शामिल नहीं हो रही है। उनकी पार्टी अब असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम और चंद्रशेखर आज़ाद की आज़ाद समाज पार्टी (एएसपी) के साथ गठबंधन करने की कोशिश करेगी।
सूत्रों का कहना है कि पटना में पारस के आवास पर हुई रालोजपा की बैठक में महागठबंधन में शामिल न होने का फैसला लिया गया। संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष सूरजभान सिंह, जिनके राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में शामिल होने की अटकलें हैं, भी बैठक में मौजूद थे। इस बात पर आखिरी मुहर समय ही लगाएगा।
सूत्रों के अनुसार, पारस ने पार्टी नेताओं को बताया कि रालोजपा को महागठबंधन में चार सीटों की पेशकश की गई थी, जो उनके लिए अपर्याप्त थीं। राजनीतिक गलियारों में ऐसी अफवाहें थीं कि लालू प्रसाद यादव ने पारस को राजद में विलय का प्रस्ताव दिया था। बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई, या अगर हुई भी, तो इसका खुलासा नहीं किया गया।
पारस ने बैठक में सभी को बताया कि ओवैसी और चंद्रशेखर आज़ाद की पार्टियां उनके संपर्क में हैं। रालोसपा अब उनके साथ गठबंधन की कोशिश करेगी। बैठक के बाद, पारस ने संवाददाताओं से कहा कि उनके पास 17 अक्टूबर तक का समय है और अगले दिन वे उन्हें सूचित करेंगे। गौरतलब है कि 17 अक्टूबर पहले चरण के लिए नामांकन की आखिरी तारीख है।
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पशुपति पारस दिवंगत समाजवादी नेता रामविलास पासवान के भाई हैं। रामविलास के निधन के बाद, पारस ने पार्टी के छह में से पांच सांसदों के साथ मिलकर पार्टी तोड़ ली और केंद्रीय मंत्री बन गए। लोकसभा चुनाव से पहले, पारस को दरकिनार कर दिया गया और चिराग पासवान को वापस बुला लिया गया। तब से, पारस और उनकी पार्टी चुनावी मैदान से बाहर हैं।
पार्टी के अन्य नेताओं के अलावा, पारस अपने बेटे के लिए अलौली विधानसभा सीट से महागठबंधन का टिकट मांग रहे हैं, जहां से राजद के रामवृक्ष निवर्तमान विधायक हैं। यही कारण है कि पशुपति पारस और राजद के बीच बातचीत विफल रही है। इस खबर ने फिलहाल बिहार की राजनीति में उथल-पुथल मचा दी है।