Hindi news, हिंदी न्यूज़, Hindi Samachar, हिंदी समाचार, Latest Hindi News
X
  • देश
  • महाराष्ट्र
  • विदेश
  • खेल
  • मनोरंजन
  • नवभारत विशेष
  • वायरल
  • धर्म
  • लाइफ़स्टाइल
  • बिज़नेस
  • करियर
  • टेक्नॉलजी
  • हेल्थ
  • ऑटोमोबाइल
  • वीडियो
  • चुनाव

  • ई-पेपर
  • देश
  • महाराष्ट्र
  • विदेश
  • राजनीति
  • खेल
  • लाइफ़स्टाइल
  • क्राइम
  • नवभारत विशेष
  • मनोरंजन
  • बिज़नेस
  • अन्य
    • वेब स्टोरीज़
    • वायरल
    • ऑटोमोबाइल
    • टेक्नॉलजी
    • धर्म
    • करियर
    • टूर एंड ट्रैवल
    • वीडियो
    • फोटो
    • चुनाव
  • देश
  • महाराष्ट्र
  • विदेश
  • खेल
  • क्राइम
  • लाइफ़स्टाइल
  • मनोरंजन
  • नवभारत विशेष
  • वायरल
  • राजनीति
  • बिज़नेस
  • ऑटोमोबाइल
  • टेक्नॉलजी
  • धर्म
  • वेब स्टोरीज़
  • करियर
  • टूर एंड ट्रैवल
  • वीडियो
  • फोटो
  • चुनाव
In Trends:
  • Tariff War |
  • Independence Day |
  • Parliament Session |
  • Weather Update |
  • Bihar Assembly Elections 2025 |
  • Share Market
Follow Us
  • वेब स्टोरीज
  • फोटो
  • विडियो
  • फटाफट खबरें

सियासत-ए-बिहार: कभी समाजवाद से बगावत कर की तारीफ…तो कभी बिहार में रोक दी एंट्री, कुर्सी के लिए फिर मोदी का साथ छोड़ेंगे नीतीश?

बिहार की सियासत को समझना या इसे लेकर कुछ भी पूर्वानुमान लगाना बेईमानी होती है। यहां नीतीश कुमार का राजनैतिक इतिहास चीख-चीखकर इस बात की गवाही दे रहा है। आप भी पढ़िए नीतीश-मोदी और लालू के रिश्ते की यह सियासी दास्तान...

  • By अभिषेक सिंह
Updated On: Jun 10, 2025 | 06:51 PM

नीतीश कुमार व नरेन्द्र मोदी (डिजाइन फोटो)

Follow Us
Close
Follow Us:

पटना: इस साल के आखिर में बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं। एक तरफ सीएम नीतीश कुमार एनडीए के सिपहसालार बनकर अपनी कुर्सी बचाने के लिए संघर्ष करते हुए दिखाई देंगे तो दूसरी तरफ आरजेडी की लीडरशिप वाला महागठबंधन बिहार में सरकार बनाने के लिए जद्दोजेहद करेगा। नीतीश कुमार 2005 से बिहार की सत्ता पर काबिज हैं। इस दौरान उन्होंने कई बार पाल जरूर बदला लेकिन कुर्सी नहीं बदली।

नीतीश कुमार ने कभी एनडीए और बीजेपी से नाता तोड़ा तो कभी आरजेडी और कांग्रेस का दामन थामकर सीएम की कुर्सी पर जा बैठे। कभी लालू यादव को झटका दिया तो कभी नरेन्द्र मोदी की वजह से एनडीए और बीजेपी से दूर जा बैठे। लेकिन आज परिस्थितियां ऐसी हैं कि ‘सुशासन बाबू’ का तमगा हासिल कर चुके नीतीश कुमार को अपनी पार्टी जेडीयू के लिए पीएम मोदी की रैलियों की सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है।

मोदी और नीतीश कुमार की बीच जिस तरह की जुगलबंदी फिलहाल दिखाई दे रही है ऐसी पहले नहीं थी। एक समय तो ऐसा भी था जब नीतीश कुमार ने बीजेपी से रिश्ता ही नरेन्द्र मोदी की वजह से खत्म कर लिया था। ठीक ऐसा ही कुछ लालू यादव के साथ भी है। कभी नीतीश कुमार को लालू यादव के घर का दही-चूड़ा मीठा लगने लगता है तो रिश्तों में वर्तमान की तरह खटास आ जाती है। सियासत-ए-बिहार की इस किश्त में बात…इन्ही बनते बिगड़ते रिश्तों पर…

7 दिन में नीतीश को देना पड़ा इस्तीफा

वर्ष 2000 में जब नीतीश कुमार ने भाजपा की मदद से बिहार के सीएम का पद संभाला था, तो उन्हें सात दिनों के भीतर ही इस्तीफा देना पड़ा था, उस समय उनके पास बहुमत नहीं था। लेकिन 20 मार्च 2001 को वह केन्द्र में रेल मंत्री बन गए। वर्ष 2003 में नीतीश कुमार ने समता पार्टी को तोड़कर जनता दल के लोगों को साथ मिलाकर जनता दल यूनाइटेड का गठन किया था।

नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव (सोर्स- सोशल मीडिया)

उस समय अन्य समाजवादी नेता गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करते थे। लेकिन केंद्र सरकार में मंत्री के रूप में आदिपुर (कच्छ) में एक रेलवे परियोजना का उद्घाटन करते हुए नीतीश कुमार ने परंपरा को तोड़ते हुए मोदी के काम की जमकर तारीफ की थी। उस समय नीतीश कुमार नरेंद्र मोदी से राष्ट्रीय राजनीति में भूमिका निभाने की मांग तक कर रहे थे।

नीतीश ने की पीएम मोदी की तारीफ

वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव के बाद जब केंद्र में यूपीए की सरकार बनी, तो नीतीश कुमार के तेवर भी धीरे-धीरे बदलने लगे। लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव और कांग्रेस जिस तरह से गुजरात दंगों को लेकर मोदी को घेरते थे, उससे भी नीतीश असहज महसूस करते थे। नीतीश के लिए एक मुद्दा यह था कि गुजरात दंगों की पृष्ठभूमि साबरमती एक्सप्रेस में लगी आग से जुड़ी थी, जबकि उस समय नीतीश कुमार रेल मंत्री थे।

लालू के खिलाफ मोर्चा खोल बनाई सरकार

नीतीश कुमार ने लालू यादव के ‘जंगल राज’ का मुद्दा उठाते हुए एनडीए के साथ मिलकर 2005 में बिहार चुनाव लड़ा था। इस बार नीतीश को पूर्ण बहुमत मिला और वे दूसरी बार बिहार के सीएम बने। 2005 के बाद नीतीश कुमार एनडीए के समर्थन से 2010 में तीसरी बार सीएम की कुर्सी पर बैठे। एक खास बात यह रही कि 2005 से 2010 के बीच नीतीश और नरेंद्र मोदी के बीच कोई टकराव नहीं हुआ, लेकिन 2010 में पहली बार टकराव सामने आया, जब मोदी बिहार नहीं आ सके।

8 साल तक बिहार नहीं आ सके मोदी

2005 से 2013 तक बिहार में बीजेपी सत्ता में थी, लेकिन मोदी को चुनाव प्रचार के लिए बिहार नहीं आने दिया गया। कहा जाता है कि नीतीश कुमार की वजह से ही मोदी 2005 और 2010 के विधानसभा चुनावों में प्रचार करने बिहार नहीं आ पाए थे। 2009 के आम चुनावों में भी मोदी को बिहार नहीं आने दिया गया था। इस पर नीतीश कुमार ने 2014 में एक इंटरव्यू के दौरान कहा था, “मैंने मोदी को बिहार में प्रचार करने से कभी नहीं रोका। यह भाजपा का फैसला था कि मोदी चुनाव प्रचार के लिए बिहार नहीं आएंगे। मोदी को रोकने का फैसला पूरी तरह से भाजपा का था। हमारा रास्ता तब भी उनसे अलग था और आज भी अलग है।”

मोदी की वजह से नीतीश ने छोड़ दिया NDA

चर्चा ये भी है कि 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और संघ नरेंद्र मोदी को गुजरात से दिल्ली लाकर पीएम चेहरे के तौर पर प्रमोट करना चाहते थे, लेकिन उस दौरान नीतीश कुमार ने इस पर वीटो लगा दिया था। 2013 में भी नीतीश कुमार ने कुछ ऐसा ही वीटो लगाया था। नीतीश कुमार ने 2013 में तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष से कहा था कि वो नहीं चाहते कि मोदी पीएम उम्मीदवार बनें। वहीं, जब बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए नरेंद्र मोदी को आधिकारिक तौर पर अपना उम्मीदवार बनाया तो नीतीश कुमार ने बीजेपी छोड़ दी।

2015 में लालू के साथ मिलकर बनाई सरकार

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने एलजेपी और छोटे दलों के साथ ताकत दिखाई और एनडीए को सिर्फ दो सीटें मिलीं। वहीं, 2015 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की जेडीयू ने लालू प्रसाद यादव की आरजेडी, कांग्रेस और लेफ्ट के साथ विपक्षी गठबंधन में थी। बीजेपी ने पूरी ताकत लगाई थी लेकिन नीतीश की अगुआई वाले महागठबंधन का पलड़ा भारी रहा। आरजेडी ने 80 सीटें जीतीं। जेडीयू को 71 और बीजेपी को 53 सीटें मिलीं। कांग्रेस को 27 सीटें मिलीं। नीतीश ने आरजेडी कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई। विपक्ष की जीत का फॉर्मूला इस चुनाव में पार्टियों की रणनीति राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बनाई थी, जो सफल भी रही।

2019 में फिर चली मोदी-नीतीश की जोड़ी

2019 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू और बीजेपी ने मिलकर चुनाव लड़ा था। इसमें एनडीए ने 39 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी। लोकसभा चुनाव के ठीक एक साल बाद बिहार में हुए 2020 के विधानसभा चुनाव में भी जेडीयू ने एनडीए का साथ दिया था। इस गठबंधन को जनता का पूरा समर्थन मिला। एनडीए ने फिर 2020 में राज्य में सरकार बनाई। इस चुनाव में जेडीयू को कम सीटें मिलीं, लेकिन बीजेपी ने नीतीश कुमार को सातवीं बार सीएम की कुर्सी पर बैठा दिया। हालांकि नीतीश कुमार ने कहा था कि बीजेपी चाहे तो किसी को भी अपना सीएम बना सकती है।

2022 में नीतीश ने छोड़ा NDA का साथ

हालांकि दो साल बाद 2022 में नीतीश कुमार और बीजेपी के रिश्तों में खटास आ गई। इसे लेकर नीतीश कुमार ने एक बार फिर पीएम मोदी पर हमला बोला। कई बार ऐसा भी हुआ कि कई मुद्दों पर आरजेडी के साथ होने के बावजूद वो पीएम मोदी और केंद्र की नीतियों की तारीफ करते रहे। 2022 में नीतीश कुमार ने एक बार फिर आरजेडी के साथ बिहार में महागठबंधन की सरकार बनाई। इस बार भी नीतीश कुमार ही सीएम बने रहे। आठवीं बार नीतीश कुमार राज्य के मुख्यमंत्री बने।

नरेन्द्र मोदी व नीतीश कुमार (सोर्स- सोशल मीडिया)

इसके बाद नीतीश कुमार ने विपक्षी एकता का मुद्दा छोड़ दिया और 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी दलों का भारत गठबंधन भी खड़ा कर दिया। ममता बनर्जी से लेकर अखिलेश यादव, शरद पवार, अरविंद केजरीवाल जैसे विपक्षी दलों के नेताओं को राहुल गांधी के साथ खड़ा करने में नीतीश कुमार की अहम भूमिका रही। हालांकि, कांग्रेस ने आखिरी वक्त में नीतीश कुमार को गठबंधन का संयोजक नहीं बनाया।

मोदी को टक्कर देना चाहते थे नीतीश

कहा जाता है कि नीतीश चाहते थे कि 2024 के चुनाव में उन्हें विपक्ष की ओर से सीधे पीएम उम्मीदवार घोषित किया जाए और वे नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन कांग्रेस ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई। कांग्रेस के रुख का असर ये हुआ कि नीतीश कुमार मोदी के खिलाफ पीएम उम्मीदवार बनना चाहते थे, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश फिर उन्हीं मोदी के एनडीए गठबंधन में शामिल हो गए। ये संयोग ही है कि इस बार नीतीश मोदी की मदद के लिए भी उतरे, क्योंकि लोकसभा चुनाव में बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला और नीतीश की पार्टी जेडीयू के 12 सांसद नरेंद्र मोदी की पीएम कुर्सी के लिए अहम हैं।

सियासत-ए-बिहार: चुनाव से पहले टूट जाएगा NDA? फ्रंटफुट पर खेल रहे चिराग ने बढ़ाई JDU की बेचैनी, BJP के लिए भी मुश्किल!

बिहार में एक बार फिर बीजेपी और जेडीयू साथ मिलकर चुनाव लड़ने जा रही है। बीजेपी ने साफ कह दिया है कि एनडीए पीएम मोदी और सीएम नीतीश के नेतृत्व में चुनाव लड़ने जा रही है। जिसने नीतीश को सीएम पद के लिए आश्वस्त कर दिया है। लेकिन उनका ट्रैक रिकॉर्ड चीख-चीख कर यह कहता है कि अगर चुनाव के बाद यदि जरा सी भी कुर्सी छिनने वाली परिस्थिति बनी तो नीतीश पाला बदलने में एक पल भी देरी नहीं करेंगे।

Nitish kumar breakup with narendra modi and lalu prasad yadav bihar politics

Get Latest   Hindi News ,  Maharashtra News ,  Entertainment News ,  Election News ,  Business News ,  Tech ,  Auto ,  Career and  Religion News  only on Navbharatlive.com

Published On: Jun 03, 2025 | 05:02 PM

Topics:  

  • Bihar Assembly Election 2025
  • Bihar Politics
  • Lalu Prasad Yadav
  • Narendra Modi
  • Nitish Kumar
  • Siyasat-E-Bihar

सम्बंधित ख़बरें

1

पीएम विकसित भारत रोजगार योजना क्या है, किसे मिलेगा इसका लाभ; जानें सबकुछ

2

4 नहीं अब सिर्फ 2 स्लैब की होगी GST, पीएम मोदी के ऐलान के बाद वित्त मंत्रालय का बयान; जल्द खुशखबरी

3

‘मेरी बहन-बेटियों को निशाना बना रहे, ये बर्दाश्त नहीं’, SIR के विरोधियों पर PM मोदी का जोरदार हमला

4

लाल किले से दहाड़े PM Modi, प्रधानमंत्री के हमले से थर्रा गया पूरा पाकिस्तान

Popular Section

  • देश
  • विदेश
  • खेल
  • मनोरंजन
  • लाइफ़स्टाइल
  • बिज़नेस
  • वेब स्टोरीज़

States

  • महाराष्ट्र
  • उत्तर प्रदेश
  • मध्यप्रदेश
  • दिल्ली NCR
  • बिहार

Maharashtra Cities

  • मुंबई
  • पुणे
  • नागपुर
  • ठाणे
  • नासिक
  • सोलापुर
  • वर्धा
  • चंद्रपुर

More

  • वायरल
  • करियर
  • ऑटो
  • टेक
  • धर्म
  • वीडियो

Follow Us On

Contact Us About Us Disclaimer Privacy Policy
Marathi News Epaper Hindi Epaper Marathi RSS Sitemap

© Copyright Navbharatlive 2025 All rights reserved.