नीतीश कुमार (सोर्स- सोशल मीडिया)
Bihar Politics: बिहार की राजनीति में इस समय हलचल मची हुई है। चर्चा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके बेहद करीबी माने जाने वाले मंत्री अशोक चौधरी के बीच भरोसेमंद रिश्ता खत्म हो गया है। सूत्रों के मुताबिक, नीतीश कुमार ने अशोक चौधरी के मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश पर रोक लगा दी है।
यह फैसला अचानक नहीं बल्कि पिछले कुछ दिनों से चल रही नाराजगी का नतीजा है। यह घटनाक्रम बिहार के राजनीतिक गलियारों में रात 11 बजे मुख्यमंत्री आवास पर हुई बैठक के दौरान दबी जुबान से सामने आया। इस घटना की चर्चा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर तेजी से फैल रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स और राजनीतिक सूत्रों से पता चलता है कि बीती रात के अंधेरे में बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी, एक जेडीयू नेता और एक केंद्रीय मंत्री के साथ मुख्यमंत्री आवास पहुंचे। अशोक चौधरी को देखकर नीतीश कुमार दंग रह गए। सूत्रों के मुताबिक, नीतीश कुमार ने अशोक चौधरी की तरफ देखा और कहा, “तुम यहां कैसे आ गए?”
इसके अलावा जिस नेता के साथ अशोक चौधरी थे, उन्होंने नीतीश कुमार को स्पष्ट किया कि वे उन्हें लेकर नहीं आए थे। वह खुद आए थे। इसके बाद नीतीश कुमार ने अशोक चौधरी को फटकार लगाते हुए कहा कि प्रशांत किशोर द्वारा लगाए गए आरोपों के सबूत पेश करें। अपनी बेगुनाही साबित करें। तभी हम किसी बात पर चर्चा कर सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार, नीतीश कुमार ने दिल्ली के मंत्री से कहा कि उन्होंने अशोक चौधरी का प्रवेश रोक दिया है। अगर आप उन्हें लाए हैं, तो भविष्य में सावधान रहें। इस खबर ने बिहार के राजनैतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में अपने निजी सचिवालय को निर्देश दिया है कि मंत्री अशोक चौधरी को फिलहाल मुख्यमंत्री आवास आने से रोका जाए। यह कदम कथित तौर पर “गंभीर असहमति और विश्वासघात की भावना” के कारण उठाया गया है। राजनीतिक गलियारों में आरोप लग रहे हैं कि चौधरी ने कुछ आंतरिक बैठकों की जानकारी लीक की है, जिससे मुख्यमंत्री नाराज़ हैं।
अशोक चौधरी को नीतीश कुमार का सबसे भरोसेमंद मंत्री माना जाता था। शिक्षा विभाग से लेकर जेडीयू तक, कई अहम फैसलों में उनकी अहम भूमिका रही। नीतीश कुमार ने कई मौकों पर सार्वजनिक रूप से उनकी तारीफ भी की, लेकिन हाल के महीनों में दोनों के बीच दरार बढ़ गई है।
राजनीतिक सूत्रों के अनुसार, इस नाराज़गी के कई कारण हैं। पहला, अशोक चौधरी की कुछ गतिविधियां मुख्यमंत्री की जानकारी के बिना होने लगीं। दूसरा, जदयू में उनके बढ़ते प्रभाव ने नीतीश को चिंतित कर दिया है। तीसरा, प्रशांत किशोर के हालिया बयानों ने चौधरी को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं, जिससे नीतीश और भी बेचैन हो गए हैं।
जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने हाल ही में कहा था कि नीतीश कुमार की मंडली बिहार की राजनीति को कमज़ोर करने वालों से घिरी हुई है। इस बयान से मुख्यमंत्री खेमे में हड़कंप मच गया और कुछ मंत्री सीधे तौर पर बेनकाब हो गए। कहा जा रहा है कि अशोक चौधरी उस मंडली का हिस्सा थे, जिसने नीतीश का आत्मविश्वास हिला दिया।
नीतीश कुमार और अशोक चौधरी के बीच बढ़ी दूरी जेडीयू के लिए बड़ा झटका साबित हो सकती है। पार्टी के अंदर दो गुट बनने की चर्चा है. विपक्ष इसे जेडीयू में अंतर्कलह करार दे रहा है। आने वाले चुनावों में इसका असर संगठन पर पड़ना तय माना जा रहा है।
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दरअसल, नीतीश कुमार का यह कदम सिर्फ नाराजगी नहीं बल्कि एक राजनीतिक संदेश भी है कि मुख्यमंत्री अब किसी पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं करेंगे। आने वाले दिनों में यह विवाद जेडीयू के अंदर और भी हलचल मचा सकता है। हाल ही में प्रशांत किशोर ने अशोक चौधरी पर 200 करोड़ घोटाले का आरोप लगाया था।