मोहिउद्दीननगर विधानसभा सीट (सोर्स- डिजाइन)
Mohiuddinagar Assembly Constituency: बिहार की राजनीति में समस्तीपुर जिले की मोहिउद्दीननगर विधानसभा सीट (Mohiuddinagar Assembly Seat) का अपना एक विशिष्ट स्थान है। उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली यह सामान्य श्रेणी की सीट, न केवल हर चुनाव में कड़े मुकाबले की गवाह बनती है, बल्कि बिहार के राजनीतिक बदलावों का आईना भी रही है, जहाँ जनता लगातार नए नेतृत्व को मौका देती रही है।
मोहिउद्दीननगर सीट का राजनीतिक सफर 1952 में शुरू हुआ।
शुरुआती दौर: आजादी के बाद 1990 तक इस क्षेत्र पर कांग्रेस पार्टी का गहरा प्रभाव रहा। 1952 में कांग्रेस के राम स्वरूप प्रसाद राय यहाँ के पहले विधायक चुने गए थे।
ऐतिहासिक नाम: इस सीट के इतिहास में बिहार विभूति के नाम से विख्यात डॉ. अनुग्रह नारायण सिंह का भी नाम दर्ज है, जिन्होंने 1985 से 1990 तक इस विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया था।
बदलाव: 1990 के बाद बिहार की राजनीति बदली और इस सीट पर कांग्रेस की वापसी नहीं हो पाई। इसके बाद राजद, जनता दल, भाजपा, लोजपा और निर्दलीय जैसे अलग-अलग पार्टियों के हाथों में सत्ता की चाबी जाती रही है।
वर्तमान मुकाबला: व्यक्तिगत कद और जातीय समीकरण
पिछले कुछ चुनावों पर नज़र डालें तो यह सीट किसी एक दल के लिए आसान नहीं रही है, यहाँ व्यक्तिगत कद और जातीय समीकरणों का प्रभाव साफ दिखता है।
2015 बनाम 2020: 2020 का विधानसभा चुनाव बेहद रोमांचक था, जहाँ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राजेश कुमार सिंह ने जीत हासिल की। दिलचस्प बात यह है कि 2015 के चुनाव में समीकरण उलट गए थे, तब राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की एज्या यादव ने राजेश कुमार सिंह (जो उस वक्त निर्दलीय थे) को परास्त किया था। यह उतार-चढ़ाव दर्शाता है कि यहाँ की जनता हर बार नए समीकरण के साथ जनादेश देती है।
मोहिउद्दीननगर सीट एक पूरी तरह से ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र है, जहाँ शहरी मतदाताओं की संख्या शून्य है। यहाँ का चुनावी गणित जातीय
मतदाता समूह अनुमानित प्रतिशत राजनीतिक महत्व यादव 30% से अधिक सबसे बड़ा और निर्णायक वोट बैंक, राजद को सीधा लाभ।
मुस्लिम लगभग 15% यादव मतदाताओं के साथ मिलकर राजद के लिए बड़ा गठबंधन वोट बैंक बनाते हैं।
अनुसूचित जाति (SC) 17.19% लगभग 45,464 मतदाता, जो एनडीए और महागठबंधन दोनों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
इस जातीय गणित के कारण, राजद को इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने का लाभ मिलता रहा है। हालांकि, भाजपा के राजेश कुमार सिंह ने इस समीकरण को तोड़कर जीत हासिल की है, जिससे यह मुकाबला हर बार महासंग्राम जैसा बन जाता है।
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में, वर्तमान विधायक राजेश कुमार सिंह (भाजपा) के लिए अपनी सीट बचाना और राजद की एज्या यादव या किसी अन्य मजबूत उम्मीदवार के लिए इस गढ़ को वापस जीतना गठबंधन की केमिस्ट्री और जातीय गणित पर निर्भर करेगा।