लालू यादव, फोटो: सोशल मीडिया
Lalu Prasad Yadav Case: लालू यादव ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इस आदेश में हाई कोर्ट ने उनकी याचिका पर जल्द सुनवाई करने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने अब हाई कोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा कि वह इस मामले में फिलहाल दखल नहीं देगा।
लालू प्रसाद यादव की ओर से ये दलील दी गई थी कि अदालत में 26 जुलाई से 2 अगस्त के बीच उनके और उनके परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ आरोप तय करने को लेकर सुनवाई चल रही है। ऐसे में दिल्ली हाई कोर्ट को 12 अगस्त की निर्धारित तारीख से पहले उनकी इस अर्जी पर सुनवाई करनी चाहिए थी लेकिन हाई कोर्ट ने उनकी यह मांग ठुकरा दी।
लालू यादव की याचिका में कहा गया कि सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर में कोई ठोस आधार नहीं है और इसे रद्द किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक उनकी याचिका पर फैसला नहीं हो जाता, तब तक निचली अदालत में आरोप तय करने की प्रक्रिया पर रोक लगाई जानी चाहिए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि हाई कोर्ट पहले ही तारीख दे चुका है और इसमें दखल देने का कोई कारण नहीं बनता। मामले में अगली सुनवाई दिल्ली हाईकोर्ट में 12 अगस्त को होगी।
जदयू के एमएलसी भगवान सिंह कुशवाहा ने इस मुद्दे पर कहा, “इन लोगों ने गरीबों का हक छीना है। सुप्रीम कोर्ट से झटका लगना तो तय था। गरीबों की जमीन लेकर नौकरियां दी। इसका पाप तो भुगतना पड़ेगा ही। सुप्रीम कोर्ट का ये झटका तो महज छोटा सा झटका है। साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में बिहार की जनता भी इनकी पार्टी को बड़ा झटका देने वाली है। सब जानते हैं नौकरी के नाम पर जमीनें ली गई हैं।”
यह भी पढ़ें: ट्रंप ने भारत पर फोड़ा टैरिफ बम, 25% टैरिफ का ऐलान, कहा- दोस्त होकर भी नहीं…
आपको बता दें कि जमीन के बदले नौकरी घोटाले की आरोप उस समय का है जब लालू केंद्र सरकार में रेल मंत्री थे। उनपर आरोप है कि उन्होंने रेल मंत्रालय में नौकरी के बदले कुछ लोगों से सस्ते दामों पर जमीन लिखवाई थी। मामले में सीबीआई ने लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटी मीसा भारती, और कई अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है।
आईएएनएस इनपुट के साथ