
टोक्यो में शादी मारिया से शादी रचाकर गांव पहुंचे बिहारी बाबू, सास-ससुर ने जापानी बहू का किया स्वागत
Bihari Boy Married to Japani Girl: कहते हैं कि प्रेम की कोई सीमा नहीं होती, न देश की, न भाषा की और न ही संस्कृति की। और इस कहावत को सच कर दिखाया है बिहार के एक छोटे से गांव के छोरे और जापान की गोरी मेम ने। मधेपुरा जिले के पुरैनी प्रखंड स्थित रौता गांव इन दिनों एक अनोखी शादी को लेकर चर्चा का केंद्र बना हुआ है, जहां सात समंदर पार से आई जापानी बहू ने सभी का दिल जीत लिया है।
रौता गांव निवासी राहुल कुमार, जो एक आईआईटी इंजीनियर हैं, साल 2020 से जापान की प्रतिष्ठित कंपनी होंडा में सीनियर इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं। टोक्यो में काम के दौरान उनकी मुलाकात मारिया से हुई, जो वहां एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती हैं। दोस्ती से शुरू हुआ यह सफर धीरे-धीरे प्यार में बदल गया। दोनों ने अपने परिवारों से सहमति ली और जापान की राजधानी टोक्यो में विवाह के बंधन में बंध गए।
शादी के बाद राहुल अपनी जीवनसंगिनी मारिया को लेकर अपने पैतृक गांव रौता पहुंचे। जैसे ही विदेशी बहू ने गांव की दहलीज पर कदम रखा, स्थानीय लोगों ने पारंपरिक भारतीय रीति-रिवाजों के साथ उनका जोरदार स्वागत किया।
प्रेम की कोई सीमा नहीं..
बिहार मधेपुरा जिले के पुरैनी प्रखंड,रौता गांव निवासी राहुल कुमार,वर्तमान में IIT इंजीनियर हैं, साल 2020 से जापान की प्रतिष्ठित कंपनी होंडा में सीनियर इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं. कार्य के दौरान दोस्ती मारिया से हुई. मारिया मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती… pic.twitter.com/W4t3zCRfvC — Tushar Rai (@tusharcrai) December 20, 2025
गांव पहुंचते ही मारिया का पारंपरिक भारतीय अंदाज में गर्मजोशी से स्वागत किया गया। सादगी, मुस्कान और संस्कारों से लोगों का दिल जीतने वाली मारिया ने हाथ जोड़कर प्रणाम किया और स्थानीय अभिवादन “हैलो जी” कहकर सबको प्रभावित किया।
राहुल के पिता सुधिष्ट यादव, जो दिल्ली स्थित सुप्रीम कोर्ट में कार्यरत हैं, अपने बेटे और बहू के घर आने पर बेहद खुश हैं। गांव में आयोजित प्रीतिभोज (रिसेप्शन) में दूर-दराज से मेहमान इस अनोखी जोड़ी को आशीर्वाद देने पहुंचे। रौता कुर्संडी पंचायत के उप मुखिया वाजिद खान ने कहा, “यह पूरे पंचायत के लिए गर्व और खुशी का अवसर है। गांववासियों ने मिलकर बहू का स्वागत किया है और हम सभी इस रिश्ते को लेकर गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।”
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जापान से बिहार तक रिश्तों की यह डोर केवल दो दिलों के मिलन की कहानी नहीं है, बल्कि यह सामाजिक सौहार्द और सांस्कृतिक समन्वय की भी एक सुंदर मिसाल पेश करती है। यह शादी साबित करती है कि जब दिल मिल जाते हैं, तो भाषा और सरहदें कोई मायने नहीं रखतीं।






