गुरुआ विधानसभा, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Gurua Assembly Constituency: बिहार के गयाजी जिले में टिकारी अनुमंडल के पास स्थित गुरुआ विधानसभा सीट (Gurua Assembly Seat) अपने नाम की तरह ही इतिहास, धर्म और राजनीतिक महत्व का आवरण ओढ़े हुए है। यह सीट प्राचीन मगध साम्राज्य का अभिन्न अंग रही है, जिसके भुरहा गांव में मिले बौद्ध स्तूपों और प्रतिमाओं के अवशेष इसके गौरवशाली अतीत की गवाही देते हैं।
आधुनिक राजनीति में, यह सीट राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच हर चुनाव में होने वाली कांटे की टक्कर के लिए विख्यात है।
1977 में विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र बनने के बाद से, गुरुआ सीट हमेशा भाजपा और राजद के बीच मुकाबले का केंद्र रही है।
शुरुआती दौर: 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र नाथ वर्मा ने पहली जीत दर्ज की थी। इसके बाद राजद के शकील अहमद खान ने 2000 से 2005 के बीच लगातार तीन बार जीत दर्ज कर प्रभुत्व स्थापित किया।
वर्तमान संघर्ष: सबसे दिलचस्प तथ्य यह है कि यह सीट अब तक राजद और भाजपा, दोनों ने छह-छह बार जीती है, जो दोनों दलों के बीच यहाँ की बराबरी की लड़ाई को दर्शाता है। जनता दल यूनाइटेड (जदयू) आज तक इस सीट पर कभी जीत दर्ज नहीं कर पाई है।
2020 का मुकाबला: 2020 के विधानसभा चुनाव में, राजद के विनय यादव ने भाजपा के राजीव नंदन डांगी को करीब 6 हजार वोटों के अंतर से हराया था। बसपा के राघवेंद्र नारायण यादव ने भी 15 हजार वोट लाकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया था।
भले ही गुरुआ विधानसभा सीट सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है, पर यहाँ का सामाजिक ताना-बाना ही चुनावी नतीजे तय करता है:
अनुसूचित जाति (SC): यहाँ अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या काफी अधिक है, जो कुल मतदाताओं का लगभग 32.4 प्रतिशत है। यह संख्या किसी भी प्रत्याशी की हार या जीत में सबसे निर्णायक भूमिका निभाती है।
मुस्लिम मतदाता: मुस्लिम आबादी की हिस्सेदारी भी लगभग 9.4 प्रतिशत है, जो SC वोटरों के साथ मिलकर राजद के लिए एक मजबूत गठबंधन आधार प्रदान करती है।
अन्य प्रभावशाली जातियाँ: इनके अलावा, यादव, राजपूत, कोइरी और पासवान मतदाताओं की संख्या भी यहाँ के चुनावी समीकरणों को प्रभावित करती है।
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गुरुआ क्षेत्र प्राचीन मगध साम्राज्य का अभिन्न अंग रहा है और यहाँ की मिट्टी में बौद्ध सभ्यता के अवशेष दबे हैं। यह ऐतिहासिक गौरव इस क्षेत्र को एक खास पहचान देता है।
ग्रामीण चरित्र: यह क्षेत्र लगभग पूरी तरह से ग्रामीण है, जहाँ 2020 विधानसभा चुनाव में मात्र 1.22 प्रतिशत मतदाता ही शहरी थे।
मुद्दे: मतदाताओं के लिए कृषि, सिंचाई, रोजगार और बुनियादी ढांचे जैसे स्थानीय मुद्दे सबसे अधिक महत्वपूर्ण होते हैं, जिस पर हर चुनाव लड़ा जाता है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में, गुरुआ सीट एक बार फिर राजद और भाजपा के बीच एक रोमांचक और करीबी मुकाबले का वादा करती है। दोनों ही दलों को जीत सुनिश्चित करने के लिए 32% SC मतदाताओं की निष्ठा हासिल करनी होगी।