बिहार की सियासत का गणित कैसे बदला (फोटो- सोशल मीडिया)
Bihar Election BJP-JDU Alliance: बिहार की गठबंधन राजनीति में शक्ति संतुलन अब तेजी से बदल रहा है। पिछले चार विधानसभा चुनावों के आंकड़े एक दिलचस्प कहानी बयां करते हैं, जहां भारतीय जनता पार्टी ने लगातार अपनी चुनावी ताकत बढ़ाई है, वहीं उसके सहयोगी जनता दल यूनाइटेड का ग्राफ नीचे गिरा है। यह ट्रेंड दिखाता है कि बिहार एनडीए में अब बीजेपी एक बड़ी चुनावी शक्ति के रूप में उभरी है। पिछले कुछ चुनावों के नतीजों के आधार पर आइए समझते हैं कि बिहार में बीजेपी की ताकत कैसे बढ़ रही है और जेडीयू की जमीन कैसे लगातार फिसलती दिख रही है।
2020 का विधानसभा चुनाव बीजेपी के लिए एक शानदार ‘रीबाउंड’ प्रदर्शन था, जबकि नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के लिए यह एक बड़ा झटका साबित हुआ। बीजेपी ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा और 68% के बेहतरीन स्ट्राइक रेट से 74 सीटें अपने नाम कीं। दूसरी तरफ, जेडीयू का प्रदर्शन नाटकीय रूप से गिरा और उसका स्ट्राइक रेट 37.4 प्रतिशत पर सिमट गया, जो 2015 के चुनाव की तुलना में लगभग आधा था। यह आंकड़ा स्पष्ट रूप से दिखाता है कि अब एनडीए की सबसे मजबूत ताकत बीजेपी ही बन गई है।
एक दशक पहले यानी 2010 में, बीजेपी-जेडीयू गठबंधन अपने शिखर पर था। उस चुनाव में जेडीयू ने 141 सीटों पर लड़ते हुए 82% के स्ट्राइक रेट से 115 सीटें जीती थीं। वहीं, बीजेपी ने 102 सीटों पर चुनाव लड़ा और 89% के शानदार स्ट्राइक रेट के साथ 91 सीटें हासिल कीं। उस समय भले ही जेडीयू की सीटें ज्यादा थीं, लेकिन स्ट्राइक रेट के मामले में बीजेपी ने बाजी मार ली थी। हालांकि, अगले दशक में जेडीयू का यह दबदबा धीरे-धीरे खत्म हो गया और 2020 तक पार्टी का स्ट्राइक रेट आधे से भी ज्यादा गिर गया।
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बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) मुख्य विपक्षी ताकत के रूप में अपनी जगह बनाए हुए है। 2020 के चुनाव में 75 सीटें जीतकर आरजेडी विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। इस चुनाव में पार्टी का स्ट्राइक रेट 52% रहा। यह प्रदर्शन 2015 के महागठबंधन के 79% के स्ट्राइक रेट से तो कम था, लेकिन यह भी सच है कि आरजेडी ही एकमात्र गैर-एनडीए पार्टी है जिसकी पूरे राज्य में मजबूत पकड़ बनी हुई है। वहीं, कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा और उसका स्ट्राइक रेट 2015 के 66% से गिरकर 2020 में केवल 27% रह गया।