बिहार विधानसभा चुनाव 2025, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Gopalpur Assembly Constituency: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में गोपालपुर विधानसभा क्षेत्र न केवल सियासी समीकरणों बल्कि जदयू के भीतर के विद्रोह के कारण भी सुर्खियों में है। भागलपुर जिले के नौगछिया अनुमंडल में गंगा के किनारे बसा यह कृषि-प्रधान क्षेत्र, जो अब भागलपुरी सिल्क के लिए भी जाना जाता है, इस बार अपने पुराने दिग्गज को छोड़कर एक नए चुनावी अध्याय की ओर बढ़ रहा है।
गोपालपुर की राजनीति पिछले दो दशकों से जदयू के दिग्गज नेता गोपाल मंडल उर्फ नरेंद्र कुमार नीरज के इर्द-गिर्द घूमती रही है। ओबीसी समुदाय से आने वाले मंडल ने अक्टूबर 2005 से लगातार चार विधानसभा चुनावों (2005, 2010, 2015, 2020) में जीत हासिल करके इस सीट को जदयू का एक अभेद्य किला बना दिया। 2020 के चुनाव में, उन्होंने राजद के शैलेश कुमार को 24,461 वोटों के बड़े अंतर से हराया था, जो क्षेत्र में उनके व्यक्तिगत प्रभाव को दर्शाता है।
हालांकि, उनका विवादित व्यवहार- जैसे 2021 में ट्रेन में आपत्तिजनक आचरण और हाल ही में उपमुख्यमंत्री पद की मांग पार्टी के लिए सिरदर्द बन गया। इन आंतरिक विद्रोहों के चलते जदयू ने इस बार उन्हें टिकट देने से इनकार कर दिया। इससे आहत होकर, गोपाल मंडल ने न केवल नीतीश कुमार के आवास के बाहर धरना दिया, बल्कि निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का ऐलान भी कर दिया। इसके तुरंत बाद, उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया।
गोपाल मंडल के विद्रोह को थामने और सीट बचाने के लिए, जदयू ने एक नया दांव चला है। पार्टी ने इस बार शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल पर भरोसा जताया है। बुलो मंडल, जो पहले राजद के टिकट पर भी चुनाव लड़ चुके हैं, एक नया चेहरा नहीं हैं, लेकिन जदयू के सिंबल पर उनकी उम्मीदवारी सीट पर गोपाल मंडल के व्यक्तिगत वर्चस्व को चुनौती देगी। यह चुनाव अब पार्टी की संगठनात्मक शक्ति बनाम बागी नेता के व्यक्तिगत जनाधार की सीधी लड़ाई बन गया है।
गोपालपुर एक सामान्य सीट है, जिसे ओबीसी समुदायों का गढ़ माना जाता है। यहाँ की राजनीति में पिछड़ा वर्ग निर्णायक भूमिका निभाता है। यहां कुल आबादी 4 लाख 78 हजार 224 है, जबकि कुल मतदाता (2024 के अनुसार) 2 लाख 77 हजार 227 हैं। ऐतिहासिक रूप से, यह सीट कांग्रेस का गढ़ थी। शुरुआती 8 चुनावों में 5 बार कांग्रेस ही जीती थी। फिर सीपीआई 3 बार सीट को जीतकर कांग्रेस के वर्चस्व को तोड़ा। लेकिन 2000 के बाद यह जदयू और राजद के बीच केंद्र बन गई। राजद ने 2000 और फरवरी 2005 में जीत दर्ज की थी।
गोपालपुर विधानसभा क्षेत्र भागलपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है। 2024 लोकसभा चुनाव के दौरान, एनडीए को गोपालपुर खंड में 39,432 वोटों की महत्वपूर्ण बढ़त मिली थी। यह आँकड़ा स्पष्ट करता है कि क्षेत्र में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन का संगठनात्मक जनाधार काफी मजबूत है।
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2025 का चुनाव गोपालपुर के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ है। गोपाल मंडल का निर्दलीय चुनाव लड़ना जदयू के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। यदि मंडल जदयू के पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगाते हैं और भाजपा का मजबूत जनाधार नए जदयू उम्मीदवार के पक्ष में एकजुट नहीं हो पाता है, तो यह सीट त्रिकोणीय मुकाबले में फंस सकती है। एनडीए की 2024 की लोकसभा बढ़त इसे जीतने का अवसर देती है, लेकिन बागी नेता का विद्रोह चुनावी समीकरण को अप्रत्याशित बना सकता है।