
बिहार विधानसभा चुनाव 2025, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Wazirganj Assembly Constituecny: बिहार के गया जिले की वजीरगंज विधानसभा सीट इस बार भी राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बनी हुई है। यह गया जिले की 10 विधानसभा सीटों में से एक है और गया शहर से लगभग 20 किलोमीटर पूर्व में स्थित है। यह विधानसभा क्षेत्र गया एवं नवादा जिलों की सीमा पर फैला हुआ है। नाम से यह क्षेत्र मुस्लिम आबादी वाला प्रतीत होता है, लेकिन वास्तव में यहां हिंदू आबादी का वर्चस्व है, जिससे इसका राजनीतिक मिजाज रूढ़िवादी और परंपरागत है।
वजीरगंज विधानसभा क्षेत्र की पहचान पूरी तरह से ग्रामीण और परंपरागत संस्कृति वाली है, क्योंकि यहाँ कोई नगरीय आबादी दर्ज नहीं की गई है। वजीरगंज प्रखंड में स्थित महादेव मंदिर स्थानीय लोगों के बीच विशेष धार्मिक महत्व रखता है, जो इस क्षेत्र की आस्था को दर्शाता है। राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो वजीरगंज विधानसभा सीट 2008 में स्थापित हुई थी। इससे पहले यह क्षेत्र शेरघाटी विधानसभा सीट के अंतर्गत आता था।
वजीरगंज विधानसभा सीट का इतिहास बताता है कि यहां मतदाता अलग-अलग समय पर भाजपा और कांग्रेस को मौका देते रहे हैं, जिससे यह किसी एक पार्टी का स्थायी गढ़ नहीं बन पाया है। अब तक यहां तीन विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। 2010 और 2020 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जीत हासिल की थी। वहीं, 2015 के चुनाव में यहां कांग्रेस ने जीत दर्ज किया, जब वह राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन का हिस्सा थी।
वर्तमान में भाजपा के बीरेंद्र सिंह विधायक हैं, जिन्होंने साल 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के शशि शेखर सिंह को हराया था। यह रिकॉर्ड दर्शाता है कि मुकाबला हमेशा कांटे का रहा है।
आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इस सीट पर कुल 12 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिससे त्रिकोणीय टक्कर की संभावना बनी हुई है। प्रमुख उम्मीदवारों में शामिल हैं:
इस बार चुनाव में जन सुराज के प्रवेश से समीकरण और जटिल हो गए हैं, क्योंकि यह पार्टी भाजपा और कांग्रेस दोनों के वोट बैंक में सेंध लगा सकती है।
वजीरगंज विधानसभा सीट पर जातीय समीकरण काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह सीट दलित, ओबीसी और सवर्ण समुदायों के बीच एक नाजुक संतुलन रखती है। यादव, राजपूत और मांझी समुदाय इस क्षेत्र में किसी भी पार्टी की जीत-हार तय करने में निर्णायक भूमिका रखते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, इस सीट पर जातीय संतुलन और स्थानीय मुद्दों का बड़ा प्रभाव रहता है। बिहार की राजनीति में जिस पार्टी का उम्मीदवार इन समुदायों को साधने में सफल रहेगा, जीत उसी की होगी। वजीरगंज के मतदाता इस बार भी अपनी पसंद, जातीय समीकरण और उम्मीदवारों की लोकप्रियता के आधार पर ही फैसला करेंगे।
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वजीरगंज विधानसभा सीट गया जिले की एक ऐसी सीट है, जहां भाजपा और कांग्रेस के बीच हर बार करीबी मुकाबला होता है। बीरेंद्र सिंह के लिए अपनी जीत को बरकरार रखना मुश्किल होगा, क्योंकि कांग्रेस के अवधेश कुमार सिंह एक मजबूत चुनौती पेश कर रहे हैं।वहीं, जन सुराज के संतोष कुमार त्रिकोणीय मुकाबले को जन्म दे रहे हैं। 2025 का चुनाव यह साबित करेगा कि क्या भाजपा अपना वर्चस्व कायम रख पाती है, या फिर कांग्रेस और जन सुराज के गठजोड़ से कोई नया समीकरण सामने आता है।






