केवटी विधानसभा सीट(डिजाइन फोटो)
Keoti Assembly Constituency Profile: केवटी विधानसभा क्षेत्र केवटी प्रखंड की 26 पंचायतों और सिंहवाड़ा प्रखंड की 12 पंचायतों को मिलाकर बना है। यहां की आबादी मुख्य रूप से ग्रामीण और अर्धशहरी है। क्षेत्र की समस्याएं जैसे सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार चुनावी मुद्दों में प्रमुखता से शामिल रहती हैं। हर चुनाव में यहां का मुकाबला रोमांचक और करीबी रहा है, जिससे यह क्षेत्र लगातार चर्चा में बना रहता है।
आगामी चुनाव में रोजगार और शिक्षा सबसे अहम मुद्दे होंगे। स्थानीय लोग बेहतर शिक्षा व्यवस्था और रोजगार के अवसरों की उम्मीद लगाए बैठे हैं। क्षेत्र में बंद पड़ी चीनी मिल का संचालन भी बड़ा मुद्दा बन चुका है। इसके पुनः चालू होने से रोजगार सृजन की संभावनाएं बढ़ सकती हैं। वर्तमान में रोजगार की कमी और शिक्षा की तलाश में बड़ी संख्या में लोग पलायन कर चुके हैं।
जनता की मांग है कि सरकारी योजनाओं और राजस्व स्रोतों में पारदर्शिता लाई जाए। कई बार योजनाओं के क्रियान्वयन में अनियमितता की शिकायतें सामने आई हैं, जिससे लोगों का भरोसा प्रभावित हुआ है। इस बार के चुनाव में यह मुद्दा भी मतदाताओं के फैसले को प्रभावित कर सकता है।
केवटी का चुनावी इतिहास काफी दिलचस्प रहा है। 1977 में जेएनपी के दुर्गादास ने जीत दर्ज की। 1990 और 1995 में गुलाम सरवर ने जनता दल और फिर राजद के टिकट पर लगातार जीत हासिल की। 2000 में भी राजद ने सीट बरकरार रखी, लेकिन 2005 में भाजपा के डॉ. अशोक कुमार यादव ने गुलाम सरवर को हराकर नया मोड़ दिया। इसके बाद 2010 तक भाजपा का दबदबा रहा। 2015 में राजद ने वापसी की, लेकिन 2020 में भाजपा के मुरारी मोहन झा ने फिर से जीत दर्ज की।
केवटी विधानसभा का चुनाव पूरी तरह जातीय संतुलन पर आधारित रहता है। यादव, ब्राह्मण और मुस्लिम मतदाता यहां निर्णायक भूमिका निभाते हैं। साथ ही, रविदास और पासवान समुदाय का वोट भी उम्मीदवारों की जीत-हार तय करता है। यही वजह है कि सभी दल अपनी रणनीति जातीय समीकरण को ध्यान में रखकर बनाते हैं।
2024 के चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, केवटी विधानसभा क्षेत्र की कुल जनसंख्या 5,07,911 है, जिसमें पुरुष 2,67,199 और महिलाएं 2,40,712 हैं। कुल मतदाताओं की संख्या 3,01,945 है, जिसमें पुरुष मतदाता 1,59,622 और महिला मतदाता 1,42,318 हैं। महिला मतदाताओं की भागीदारी इस बार के चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकती है।
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केवटी विधानसभा सीट पर इस बार भी मुकाबला बेहद रोमांचक रहने वाला है। भाजपा अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश में है, जबकि राजद वापसी की रणनीति बना रहा है। चीनी मिल, पलायन, शिक्षा और रोजगार जैसे मुद्दे इस बार के चुनाव को और भी दिलचस्प बना रहे हैं। इतिहास बताता है कि यहां हार-जीत का फैसला अक्सर बेहद करीबी होता है, और 2025 का चुनाव भी इससे अलग नहीं होगा।