काराकाट विधानसभा सीट,(कॉन्सेप्ट फोटो)
Karakat Seat Profile: बिहार विधानसभा चुनाव के बीच राजनीतिक दलों द्वारा धुआंधार चुनावी सभाओं का दौर चल रहा है। कुछ विधानसभा सीटों पर न सिर्फ बिहार, बल्कि पूरे देश की नजरें टिकी हुई हैं। इन्हें हॉट सीट का दर्जा प्राप्त है। रोहतास जिले की काराकाट विधानसभा सीट इन्हीं में से एक है, जो सामान्य श्रेणी की है।
इस सीट पर इस बार का चुनावी रण बेहद रोचक हो गया है, क्योंकि यहाँ महागठबंधन और एनडीए के उम्मीदवारों के बीच सीधी टक्कर तो है ही, लेकिन भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार पवन सिंह की पत्नी ज्योति सिंह के निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।
चर्चाएं तेज हो गई हैं कि क्या काराकाट में इस बार जनता ज्योति सिंह के रूप में महिला विधायक बनाने जा रही है या फिर चुनावी जंग की बाजी एनडीए या फिर महागठबंधन के उम्मीदवार मारेंगे। ज्योति सिंह की एंट्री ने इस सीट के राजनीतिक समीकरणों को पूरी तरह से बदल दिया है, जिससे पारंपरिक दलों की चिंताएँ बढ़ गई हैं।
काराकाट में मुख्य रूप से तीन बड़े दावेदार हैं, जिनके बीच जीत हासिल करने की कड़ी प्रतिस्पर्धा है:
एनडीए प्रत्याशी महाबली सिंह: इनके चुनावी प्रचार के लिए भाजपा सांसद मनोज तिवारी, रवि किशन, और पूर्व सांसद दिनेश लाल यादव (निरहुआ) को लगाया गया है। इसके अलावा, केंद्रीय मंत्री और सांसद भी यहाँ पर लगातार डेरा डाले हुए हैं, जो एनडीए की इस सीट को जीतने की गंभीरता को दर्शाता है।
महागठबंधन के उम्मीदवार अरुण सिंह: वर्तमान में वह यहाँ से विधायक भी हैं। उन्होंने 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार को भारी मतों से चुनावी मात दी थी। उनका चुनावी आधार वर्तमान विकास कार्य और महागठबंधन का जनाधार है।
निर्दलीय उम्मीदवार ज्योति सिंह: पवन सिंह की पत्नी के रूप में उनकी उपस्थिति ने युवाओं और महिला मतदाताओं के बीच एक अलग उत्साह पैदा किया है, जो पारंपरिक वोटों में सेंध लगा सकती हैं।
चुनाव आयोग के डेटा के अनुसार, इस विधानसभा में कुल मतदाता 3,37,162 हैं, जिनमें पुरुष $1,74,581$, महिलाएँ $1,62,557$ और थर्ड जेंडर वोटर की संख्या $24$ है।
वर्ष विजयी पार्टी
2020 राजद (अरुण सिंह)
2015 राजद
2010 जदयू (एनडीए के साथ)
2005 राजद
2000 राजद
इस सीट पर 25 वर्षों के पाँच चुनाव में राजद ने तीन बार जीत हासिल की। एक बार जदयू और एक बार सीपीआई(एमएल) (एल) ने चुनाव जीता है। यह आँकड़ा स्पष्ट करता है कि काराकाट की जनता का झुकाव दशकों से राजद के सामाजिक समीकरणों की ओर रहा है, जिसने महागठबंधन की स्थिति को मजबूत किया है।
काराकाट विधानसभा एक कृषि-प्रधान क्षेत्र है, लेकिन विकास की कमी और सामाजिक-आर्थिक चुनौतियां यहां की प्रमुख समस्याएं हैं। यहां की जनता ने अपनी समस्याओं के सुधार के लिए हर बार वोट तो किया, लेकिन समस्याएँ जस की तस बनी रहीं।
यह भी पढ़ें: बिहार चुनाव 2025: बड़ी ऊर्जा क्रांति की दहलीज पर खड़ा है नबीनगर, एक बार फिर होगी राजद-जदयू की टक्कर
स्थानीय लोगों के अनुसार, बिक्रमगंज नगर परिषद को सिकरिया गांव से जोड़ने वाला एक छोटा सा पुल भी वर्षों से नहीं बन पाया है, जो स्थानीय विकास की उपेक्षा को दर्शाता है। इस बार वे ऐसे नेतृत्व को मौका देंगे जो उनकी समस्याओं को जड़ से खत्म करने का सिर्फ वादा ही न करे, बल्कि चुनाव जीतने के बाद उसे जमीन पर पूरा भी करे। ज्योति सिंह की एंट्री ने जनता को एक गैर-पारंपरिक विकल्प दिया है, जिससे यह चुनाव पूरी तरह से विकास, लोकप्रियता और राजनीतिक समीकरणों का मिश्रण बन गया है।